जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (Nanaji Deshmukh Veterinary Science University) जबलपुर के कुलपति डॉ. पीडी जुयाल के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप के मामले में एफआईआर दर्ज करने पर पूर्व में लगी अंतरिम रोक हटा दी। न्यायमूर्ति वीपीएस चौहान की एकलपीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला अपने वकील के जरिए कोर्ट के समक्ष उपस्थित हो चुकी है। लिहाजा, एफआईआर दर्ज करने पर पूर्व में लगी रोक की अंतरिम राहत बरकरार रखना आवश्यक नहीं है।
नौकरी के बहाने रीवा के होटल में रेप किया, फोटो खींच लिए
पीड़ित महिला द्वारा अदालत में दायर परिवाद के मुताबिक उसके पालतू कुत्ते की उचित इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई। इसकी शिकायत लेकर वह डॉक्टर जुयाल के पास गई। जुयाल ने उससे पहचान बढ़ा ली और नौकरी देने के बहाने वेटरनरी विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में बुलाया। वहां डॉ. जुयाल ने शिकायतकर्ता को नौकरी देने के बदले शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा लेकिन युवती ने इनकार कर दिया। महिला का आरोप है कि 17 मार्च 2018 को कुलपति ने उसे रीवा ले जाकर वहां के एक होटल में उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए और अश्लील फोटो भी निकाले।
पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया, कोर्ट आना पड़ा
इसकी शिकायत उसने महिला थाने सहित अन्य संबंधित पुलिस अफसरों से की लेकिन कहीं उसकी सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद महिला ने जिला अदालत में परिवाद दायर किया। जेएमएफसी निधि जैन की अदालत सिविल लाइंस थाने को डॉ. जुयाल के खिलाफ भादंवि की धारा 376(2), आईटी एक्ट की धारा 67, 67 ए के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
महिला ने बयान दर्ज कराए, अब FIR होगी
इस आदेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि आरोप मिथ्या है। इस पर हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला के हाजिर न होने तक डॉ. जुयाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने का अंतरिम निर्देश दिया। इस आदेश को बरकरार रखने के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर दुबे, अधिवक्ता अमन शर्मा व अनुभव दुबे ने दलील दी कि शिकायतकर्ता पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करा चुकी है। लिहाजा, एफआईआर दर्ज करने पर लगी रोक हटाई जाए। इसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।