नई दिल्ली। मानव अंगों की तस्करी का कारोबार कितने बड़े पैमाने पर फेल गया और माफिया के रैकेट में किस तरह के लोग शामिल हो गए हैं, यह मामला ऐसी ही कुछ बातों का खुलासा करता है।
फोटो वीडियो दिखाकर किडनी बेचने के लिए कन्वेंस करता था
सुप्रसिद्ध अस्पताल Psri Hospital in Delhi NCR में CEO जैसे महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत डॉक्टर दीपक शुक्ला को निजी जिंदगी में किसी चीज की कमी नहीं थी लेकिन लालच तो लालच होता है। पुलिस का दावा है कि ज्यादा पैसा कमाने के लिए उन्होंने मानव अंगों का इलाज करने के बजाए मानव अंगों की तस्करी जैसे पाप और अपराध को चुना। पुलिस ने बताया कि डॉक्टर दीपक शुक्ला लोगों को किडनी बेचने के लिए प्रेरित करता था। इसके लिए वह कई-कई घंटे उनकी काउंसलिंग करता था।प्रेरित करने के लिए वीडियो और फोटो भी दिखाता था। जिसके बाद लोग उसके विश्वास में आकर किडनी या लिवर निकलवाने के लिए तैयार हो जाते थे।
अस्पताल के कर्मचारी भी रैकेट में शामिल थे
पुलिस के मुताबिक पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टिट्यूट- अस्पताल (Pushpawati Singhania HOSPITAL & Research Institute) के कोऑर्डिनेटर रिसीवर खोज कर लाते थे। इसकी जानकारी वह डोनर प्रोवाइडर गिरोह के सरगना टी राजकुमार राव व गौरव मिश्रा को देते थे। इसके बाद ये दोनों डोनर को तैयार कर कोऑर्डिनेटर के पास ले जाते थे। पुलिस के मुताबिक आमतौर पर डोनर किडनी या लिवर निकलवाने के लिए डरता था। इसकी जानकारी वह डोनर प्रोवाइडर गिरोह के सरगना टी राजकुमार राव व गौरव मिश्रा को देते थे। इसके बाद ये दोनों डोनर को तैयार कर कोऑर्डिनेटर के पास ले जाते थे। पुलिस के मुताबिक आमतौर पर डोनर किडनी या लिवर निकलवाने के लिए डरता था। इसीलिए डॉक्टर दीपक शुक्ला जैसे लोगों को रैकेट में शामिल किया गया। क्योंकि मरीज, सीनयिर डॉक्टर पर जल्दी से विश्वास कर लेते हैं।