भारतीय स्टेट बैंक (STATE BANK OF INDIA) जिसे संक्षिप्त में एसबीआई कहते हैं, के 42 करोड़ लोगों के लिए महत्वपूर्ण सूचना (IMPORTANT INFORMATION) आई है। एसबीआई ने कुछ नियमों में बदलाव (RULES CHANGE) किया है जो 1 जुलाई (1st JULY 2019) से प्रभावी हो जाएंगे। इससे पहले हुए कुछ परिवर्तन 1 मई 2019 से प्रभावी हो चुके हैं। सभ परिवर्तित नियम किसी ना किसी प्रकार से सभी 42 करोड़ ग्राहकों को प्रभावित करने वाले हैं।
एसबीआई की ओर से कहा गया है कि 1 जुलाई से रेपो रेट (RBI REPO RATE) से जुड़े होम लोन (HOME LOAN) ऑफर किए जाएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि अगले महीने से एसबीआई की होम लोन की ब्याज दर पूरी तरह रेपो रेट पर आधारित हो जाएगी। अगर इसे आसान भाषा में समझें तो रिजर्व बैंक जब-जब रेपो रेट में बदलाव करेगा उसी आधार पर एसबीआई की होम लोन की ब्याज दर भी बदल जाएगी।
वर्तमान में आरबीआई के रेपो रेट के बदलाव के बाद भी एसबीआई प्रबंधन अपने हिसाब से होम लोन पर ब्याज दरों में कटौती या बढ़ोतरी करता है। गुरुवार को आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर इसे 5.75 पर ला दिया है। उदाहरण के लिए आरबीआई ने बीते 6 महीने में लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती की है। दिसंबर से जून के बीच रेपो रेट में कुल 0.75 फीसदी की कटौती हो चुकी है।
आगे ऐसी परिस्थितियों में एसबीआई का होम लोन भी लगातार सस्ता होगा। इससे ग्राहकों को एक फायदा यह है कि बैंक प्रबंधन अपनी मर्जी से ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी नहीं कर पाएगा और ना ही ग्राहकों को मिलने वाले लाभ को कुछ समय के लिए रोक पाएगा।
यहां बता दें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति वर्ष में 6 बार यानी हर दूसरे महीने रेपो रेट की समीक्षा करता है। कहने का मतलब यह है कि अगर हर दूसरे महीने में रेपो रेट में बदलाव हुआ तो एसबीआई के होम लोन की ब्याज दरें भी उसी के मुताबिक घटेंगी या बढ़ेंगी।
बहरहाल, एसबीआई अपने शॉर्ट टर्म लोन और बड़ी जमा राशि की ब्याज दरों को पहले ही रेपो रेट से जोड़ चुका है। यह नियम 1 मई से प्रभावी हो चुका है। रेपो रेट के आधार पर ही बैंक ब्याज दर में बदलाव करते हैं। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को कर्ज देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।