पथरौला/सीधी। जिले अन्तर्गत सभी ई-उपार्जन केन्द्रों मे कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटरों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर प्रभारी मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा गया है। विगत दिवश सीधी सिंगरौली के दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री प्रदीप जायसवाल को ई-उपार्जन के आपरेटरों ने ज्ञापन के माध्यम से अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुये बताया कि मध्यप्रदेश में ई-उपार्जन का कार्य वर्ष 2012 मे प्रारंभ हुआ है।
जिसमे कम्प्यूटर आपरेटर की नियुक्ति समिति प्रबंधक द्वारा की गई थी। तथा ई-उपार्जन खरीफ एवं रबी फसल का उपार्जन के कार्य का 3 माह का भुगतान कम्प्यूटर आपरेटरों को उपार्जन एजेंसी द्वारा दिया जाता है। और उपार्जन कार्य बंद होने के बाद शेष 3 माह का भुगतान कम्प्यूटर आपरेटरों को नहीं मिलता है। जबकि उपार्जन के दौरान एवं उपार्जन के पश्चात भी समिति स्तर का कार्य आपरेटरों से कराया जाता है। चूंकि समिति स्तर की जानकारी कम्प्यूटराइज्ड सीट मे ही उपलब्ध कराई जाती है जिसके डाटा की जानकारी आपरेटर को ही होती है। इसलिए सभी जानकारियां आपरेटर से ही बनवाई जाती है।
अतः इस दौरान आपरेटर दूसरा रोजगार भी नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार लगभग पूरे 12 माह तक आपरेटर समिति के कार्य से जुडे रहते हैं। किन्तु जब शेष तीन माह के भुगतान की मांग आपरेटर द्वारा की जाती है तो प्रबंधक द्वारा बजट का रोना रोया जाता है। आपरेटरों का कहना है कि जब बजट नहीं है तो क्यो अनायास हमारा समय और पेट्रोल खर्च करवा कर हमारा शोषण किया जा रहा है। जबकि सभी समिति प्रबंधक, लेखापाल, सेल्समैन, चपरासी एवं चौकीदार को 12 माह का पारिश्रमिक दिया जाता है। लेकिन शासन की हर योजनाओं की आनलाईन एवं कम्प्यूटराइज्ड जानकारी बनाने वाले आपरेटरों को इससे बंचित रखा जाता है। हलांकि दिये गये ज्ञापन मे उल्लेख किया गया है कि सभी समिति प्रबंधकों पर यह बात लागू नहीं होती है।
कुछ इन सभी तथ्यों से अवगत होने के कारण आपरेटरों को समिति कर्मचारी बनाकर 12 माह का भुगतान अथवा इस दरम्यान कराये गये समिति के कार्य का भुगतान व्यक्तिगत अथवा समिति व्यय से कराते हैं। आपरेटरों का कहना है कि ई-उपार्जन एवं समिति का कार्य वर्ष 2012 से करते आ रहे हैं। जिसके कारण इसका अनुभव भी हो गया है। किन्तु आपरेटरों के हितार्थ न कोई संबंधित विभाग और ना ही समिति स्तर पर कोई पहल की जा रही है। जिससे वह अपने व परिवार के निकट भविष्य को लेकर चिंतित हैं। तथा इस प्रकार के शोषण से सभी आपरेटरों मे काफी असंतोष व्याप्त है। आपरेटरों कहना है की हम काम तो कर रहे हैं। परन्तु हमे अपने विभाग का पता रता आज तक मालुम ही नहीं है।
हम काम तो समिति का करते हैं किन्तु भुगतान ई-उपार्जन एजेंसियों द्वारा दिया जाता है। जबकि काम का मैनेजमेंट खाद्यय शाखा तथा जिला सहकारी द्वारा किया जाता है। ऐसी स्थिति में अपनी समस्या किसके पास सुनायें समझ मे नहीं आता है। ज्ञापन सौंपने मे मुख्य रूप से अखिलेश सिंह, अनुपम तिवारी, राकेश सेन, संजय जायसवाल, गिरधारी पटेल, अनिल गौतम, पवन पटेल, विजय द्विवेदी सहित समस्त ई-उपार्जन के कम्प्यूटर आपरेटर उपस्थित रहे।