डेस्क। ICC ने वर्ल्ड कप में भारतीय सेना (INDIAN ARMY) के ‘बलिदान बैज’ (BALIDAN BATCH) को नामंजूर कर दिया है। महेंद्र सिंह धोनी को आदेशित किया गया है कि वो इसे हटा दें। ज्ञात हो कि महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर ‘बलिदान बैज’ का निशान बना हुआ था।
आईसीसी ने कहा कि नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी के कपड़ों या उनके खेल के सामनों पर कोई भी व्यक्तिगत संदेश या लोगो लगाने की इजाजत नहीं है। इसमें विकेटकीपर के ग्लव्स भी शामिल हैं। इन पर भी यही शर्तें लागू होती हैं। बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में धोनी जो ग्लव्स पहनकर विकेटकीपिंग करने उतरे थे, उस पर ‘बलिदान बैज’ का लोगो लगा था। गुरुवार को इंटननेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने इस पर आपत्ति जताई थी। उसने बीसीसीआई से धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स से ‘बलिदान बैज’ या पैरा स्पेशल फोर्स के रेजिमेंटल निशान को हटाने के लिए कहा था।
बीसीसीआई ने कहा था- धोनी ने कोई नियम नहीं तोड़ा
शुक्रवार को बीसीसीआई ने आईसीसी को पत्र लिखकर धोनी को ‘बलिदान बैज’ लगे ग्लव्स पहनकर विकेटकीपिंग करने की इजाजत देने की मांग की। प्रशासकों की समिति (सीओए) के चेयरमैन विनोद राय ने बताया, ‘हमने आईसीसी को इस मामले में मंजूरी देने की मांग की है। सभी जानते हैं कि बैज से किसी तरह का कर्मिशयल या धार्मिक पहलू नहीं जुड़ा है। इस कारण धोनी ने कोई नियम नहीं तोड़ा है।’
आईसीसी से इस मामले में बात करे बीसीसीआई : केंद्रीय खेल मंत्री
केंद्रीय खेल मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि सरकार खेल संस्थाओं के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है। वे स्वायत्त संस्थाएं हैं लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है तब राष्ट्रहित ध्यान में रखना होता है। मेरा आग्रह है कि बीसीसीआई इस मामले को आईसीसी के सामने उठाना चाहिए।
आईसीसी ने ‘एक लोगो नियम’ का हवाला दिया
आईसीसी ने धोनी के ‘बलिदान बैज’ लगे ग्लव्स को मंजूरी नहीं देने के पीछे अपने ‘एक लोगो नियम’ का हवाला दिया। आईसीसी के नियमों के मुताबिक, विकेटकीपिंग ग्लव्स पर सिर्फ एक स्पान्सर का लोगो ही लगाया जा सकता है। धोनी के मामले में, उनके ग्लव्स पर पहले से ही एसजी का लोगो लगा हुआ है। ऐसे में ‘बलिदान बैज’ लगाने की मंजूरी देना इंक्विपमेंट स्पान्सरशिप का उल्लंघन होगा।
पाकिस्तान के मंत्री का तंज
दूसरी ओर, पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद हुसैन चौधरी ने ट्वीट कर कहा था, ‘धोनी इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने गए हैं न कि महाभारत के लिए। भारतीय मीडिया का एक वर्ग युद्ध से इतना प्रभावित है कि उन्हें सीरिया, अफगानिस्तान या रवांडा में भाड़े के सैनिकों के रूप में भेजा जाना चाहिए।’