भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों तबादलों का सीजन चल रहा है। थोकबंद तबादला सूचियां जा रहीं हैं और हजारों तबादले बिना सूचियों केे भी हो रहे हैं। तबादलों पर बैन हटाए जाने से पहले ही 20 हजार तबादले किए जा चुके थे। अब 70 हजार तबादले प्रक्रिया में हैं और शेष 10 हजार तबादले मंत्रियों के विशेष आग्रह पर भी हो सकते हैं। सरकार को अभी 7 माह ही हुए हैं। 5 माह शेष हैं। इस तरह मप्र में 1 साल में 1 लाख तबादलों का रिकॉर्ड बनना तय है।
बैन खुला तो 1 माह में 70 हजार आवेदन
कमलनाथ सरकार ने एक माह के लिए तबादलों पर से बैन क्या हटाया, मंत्रियों-विधायकों के साथ लोगों ने 70 हजार से अधिक आवेदन दे दिए। स्थिति यह हो गई है कि विभागों को मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव तक यह बात पहुंचानी पड़ी, जिसमें बताया गया कि ज्यादातर आवेदनों में गांव में बैठा व्यक्ति शहर स्थानांतरित होना चाहती है। इस दलील के बाद तय किया गया कि नियमों के अनुसार ही तबादले होंगे। इसके बाद आवेदनों की बारीकी से पड़ताल शुरु हुई और स्कूल शिक्षा विभाग की अलग नीति जारी करके ऑनलाइन आवेदन मांग लिए गए। हालांकि इस बीच में तय मापदंडों से अधिक कई विभागों में 25 से 40 फीसदी तक तबादले हो गए।
2010 के बाद 5वीं बार बैन खुला
मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के तबादलों पर वर्ष 2010 के बाद पांचवी बार बैन खुला है जिसमें सर्वाधिक आवेदन आए हैं। जून 2019 से पहले जनवरी 2018, जुलाई 2017, मार्च 2016 और 2010 में ही तबादलों पर से प्रतिबंध हटा है। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों ने कैबिनेट और उससे एक दिन पहले मुख्यमंत्री से मिलकर तबादलों की बात की, लेकिन न ही मियाद बढ़ाई गई और तबादला नीति में तय मापदंडों से अधिक तबादले की मंजूरी दी गई।
20 हजार तबादले पहले ही हो चुके हैं
बता दें कि सात माह की सरकार में शुरुआती छह महीनों में ही आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों को मिलाकर 20 हजार के करीब तबादले हो चुकी हैं। अब एक माह में इससे तीन गुना से अधिक आवेदन आए हैं। आईएएस अधिकारियों को छोड़ दें तो सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्य प्रशासनिक सेवा के मामले में किफायत बरतते हुए कैडर के 572 में से 54 ही ट्रांसफर किए जो 10 फीसदी के करीब है। तहसीलदारों के 25 तबादले किए गए।