एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट यानी वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में बल्लेबाज को पूरे 50 ओवर खुलने का मौका दिया जाता है परंतु गेंदबाज को केवल 10 ओवर मिलते हैं। प्रश्न है कि केवल गेंदबाज को ही सीमाओं में क्यों बांधा गया। बॉलर के लिए ओवर की लिमिट क्यों फिक्स की गई। उसे बल्लेबाज के समान पूरे 50 ओवर फैंकने का अवसर क्यों नहीं दिया गया।
एकदिवसीय क्रिकेट में कई बदलाव हुए हैं और यह निरंतर होते जा रहे हैं। पहले एक ओवर में कुल बॉल की संख्या 4 थी, फिर 6 की गई, फिर 8 हुई और अंत में 6 तय की गई। वनडे क्रिकेट के शुरुआती दिनों में आम तौर पर प्रति टीम ओवर संख्या 60 थी, लेकिन अब इसे समान रूप से 50 ओवर तक सीमित कर दिया गया है। इसी तरह पहले एक गैंदबाज को 12 ओवर फैंकने का अवसर मिलता था, अब 10 ओवर की लिमिट तय की गई है।
गेंदबाज को 10 ओवर की लिमिट ही क्यों
दरअसल, क्रिकेट बॉलिंग और फील्डिंग का खेल है। बेट्समैन की इसमें अहम भूमिका नहीं होती थी। बॉलर हमला करता है और बेट्समैन उस हमले से विकेट का बचाव करता है। इस दौरान रन भी बना लेता है परंतु क्रिकेट में बेट्समैन का टारगेट विकेट की रक्षा करना ही प्रमुख था। अत: हमलावर बदलने के नियम बनाए गए। तय किया गया कि एक बॉलर मैच के कुल ओवर का अधिकतम 20% प्रतिशत ओवर ही फेंक सकेगा। यानी यदि मैच 40 ओवर का हुआ तो बॉलर को मात्र 8 ओवर ही मिलेंगे।
गेंदबाज को 10 ओवर की सीमा में क्यों बांधा गया
किकेट में गेंदबाज हमला करता है और बेट्समैन आउट हो जाता है। तब दूसरे बेट्समैन को आने का अवसर मिलता है लेकिन यदि बेट्समैन गेंदबाज की लगातार 3 बॉल पर 3 चौके मार दे, या पहली ही बॉल पर 6 मार दे तो बॉलर आउट नहीं होता। उसे पूरा ओवर फेंकने का मौका दिया जाता है। इसीलिए उसके ओवर को सीमा में बांध दिया गया।