भोपाल। मध्य प्रदेश में संचालित लोकसेवा केंद्रों के टेंडर अटक गए हैं। कांग्रेस नेता इसमें नियम विरुद्ध आवंटन की कोशिश कर रहे थे। हंगामा हुआ तो पूरी प्रक्रिया ही रोक दी गई। 14500 लोग आवेदन कर चुके हैं। बतौर गारंटी 140 करोड़ रुपए भी सरकारी खाते में जमा करा चुके हैं। सरकार ने इस मामले को भी पेंडिंग कर दिया है।
प्रदेश के 412 लोकसेवा केंद्रों के संचालन की अवधि खत्म होने पर सरकार ने 1 मार्च को टेंडर बुलाए थे। इसके लिए प्रदेशभर से 14,500 आवेदन आए। हर आवेदन के साथ एक लाख रुपए की बैंक गारंटी भी जमा की गई। यानी 140 करोड़ रुपए से ज्यादा सरकार के खाते में जमा हैं। सरकार का तर्क है कि तीन मंत्रियों की कमेटी इसका निर्णय करेगा। सरकार पहले ही वर्तमान केंद्रों की संचालन अवधि दो बार एक-एक महीने बढ़ा चुकी है। 28 जुलाई को तीसरी बार अवधि एक महीने के लिए बढ़ाई गई है।
लोकसेवा केंद्रों के लिए सरकार ने 1 मार्च 2019 को निविदा प्रकाशित की थी। 3 अप्रैल इसकी आखिरी तारीख थी। चुनावों का हवाला देकर निविदा जमा करने की तारीख बढ़ा दी गई। 7 जिलों के लिए तो फाइनेंशियल बिड खोले जाने की प्रक्रिया भी पूरी हो गई, लेकिन इसके बाद प्रक्रिया रोक दी गई।
सात साल में आवेदनों से मिले 6.24 करोड़ रुपए
लाेकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत 150 तरह की सेवाएं लाेकसेवा केंद्रों से दी जाती हैं। 25 सितंबर 2012 से अब तक 6.24 करोड़ रुपए आवेदन से प्राप्त हुए हैं। भोपाल जिले में कलेक्टोरेट, राजभवन के पास, कोलार और बैरसिया में चार लोकसेवा केंद्र हैं, जहां रोजाना औसतन 8 हजार आवेदन प्राप्त होते हैं।