भोपाल। सरकारी नौकरी में लापरवाही, अनियमितता, भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारी अधिकारियों की सेवानिवृत्ति वाले 20-50 नियम ने दफ्तरों में हलचल बढ़ा दी है। इस नियम के तहत जिला प्रशासन के सभी विभागों ने ऐसे ही लापरवाह कर्मियों की सूची बनाने का काम शुरू कर दिया है। 20 साल की नौकरी या 50 साल की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारी-अधिकारियों के नाम इस सूची में दर्ज किए जाएंगे। हालांकि ईमानदारी और लगन से काम करने वालों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि उनके नाम इस सूची में दर्ज नहीं किया जाना है। इस नियम को लेकर कर्मचारी संघों में आक्रोश बढ़ा है। कर्मचारी नेता इसका विरोध भी करने वाले हैं।
कई बिंदुओं को देखा जा रहा है
जो कर्मचारी लोकायुक्त कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं या उनके खिलाफ दोष सिद्ध हो चुका। इस नियम में शामिल माने जाएंगे। यह देखा जाएगा कि उनकी नौकरी 20 साल की या उम्र 50 साल हुई या नहीं। इसके अलावा जिनके खिलाफ कई बार विभागीय जांच हुई। भ्रष्टाचार या अन्य किसी मामले में किसी कर्मचारी के खिलाफ प्रकरण तो कायम नहीं हुआ। बिना बताए लगातार अवकाश पर रहने वाले कर्मचारी, सिविल सेवा आचरण के विपरीत काम करने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार की जाना है।
2 साल पहले भी बनी थी सूची
दो साल पहले 20-50 नियम का पालन कराने सूची तैयार की गई थी। कलेक्ट्रेट सहित अन्य विभागों में ऐसे कर्मियों को बाहर भी किया गया। वहीं कुछ कर्मचारियों ने प्रक्रिया होने से पहले खुद ही वीआरएस ले लिया। जिन प्रकरणों में जांच चल रही है, सिर्फ उन्हीं को राहत मिलने की उम्मीद है। जांच में दोषी कर्मचारियों को लेकर भी निर्णय सामने आ सकता है। पिछली सूची में लगभग 12 से ज्यादा नाम थे। इनमें से कितने कर्मचारियों को अभी तक सेवानिवृत्त किया गया है। इस बात की जानकारी अगले कुछ दिनों में सामने आ जाएंगे।
सिर्फ कर्मचारी ही क्यों
योगेन्द्र दुबे, प्रांतीय महामंत्री मप्र तृतीय वर्ग शा.क.संघ का कहना है कि सिर्फ कर्मचारियों के नाम ही इस सूची में दर्ज क्यों किए जाएंगे। ऐसे अधिकारियों के नाम भी सामने आने चाहिए, जो लापरवाही करते आए हैं। यह नियम कर्मचारियों में निराशा का माहौल बना रहा है।
इस आदेश का विरोध किया जाएगा
मुकेश सिंह, प्रांतीय संयोजक अध्यापक प्रकोष्ठ का कहना है कि सभी विभागों में यह सूची बनाई जाने लगी है लेकिन इसका विपरीत असर कर्मचारियों पर देखने मिला है। शासन के इस आदेश का विरोध किया जाएगा। इसमें समस्त विभागों के अधिकारी वर्ग को भी शामिल किया जाना चाहिए।