भोपाल। कमलनाथ सरकार ने संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतन देने का फैसला 05 जून को कर दिया था। इसकी गाइडलाइन जारी कर दी गई। इस गाइडलाइन में 39000 संविदा कर्मचारी आते हैं। इनमें से 10 हजार को तो समकक्ष का 90 प्रतिशत वेतन मिल रहा है परंतु 29000 कर्मचारियों का विभागों ने प्रपोजल भेज दिया है परंतु वित्त विभाग ने फाइल अटका रखी है।
सैयद जाफर उपाध्यक्ष, मीडिया विभाग मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस बारे में सीएम कमलनाथ को पत्र लिखा है। उनहोंनें बताया कि मध्य प्रदेश शासन की कैबिनेट से अनुमोदित वित्त विभाग की अनुशंसा से सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 05 जून 2018 को संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियमित के अवसर प्रदान किये जाने हेतु नीति निर्देश जारी किये गये थे। नीति निर्देश की कडिका 1.14.5 में संविदा कर्मचारियों का मासिक परिश्रमिक नियमित पदों के समकक्ष वेतनमान के न्यूनतम का 90 प्रतिशत निर्धारित किया जाये। ऐसे निर्देश जारी किये गये है।
महोदय जी प्रदेश के 51 विभागों में लगभग 39,000 संविदा कर्मचारी पंद्रह वर्षा से कार्यरत हैं। जिसमें से लगभग 10,000 संविदा कर्मचारियों को नियमित पदों के समकक्ष 90 प्रतिशत मानदेय दिया जा रहा है। बाकी 29,000 शेष कर्मचारियों को यह मानदेय नहीं दिया जा रहा है। जैस कि मैने आपके निर्देशानुसार प्रदेश के समस्त विभागों से चर्चा करने के उपरांत पाया कि प्रदेश सरकार के समस्त विभागों ने सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के तहत प्रपोजल बनाकर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग को अनुमोदन है भेजा है लेकिन वित्त विभाग कई महीनों से इन प्रपोजलो पर अनुमोदन नहीं कर रहा है जिसके कारण प्रदेश के लगभग 29,000 संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के समकक्ष 90 प्रतिशत मानदेय नहीं मिल पा रहा है।
अतः आपसे निवेदन है कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुये मध्य प्रदेश के 29000 संविदा कर्मचारियों को सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार नियमित पद के समकक्ष 90 प्रतिशत मानदेय प्रदान किया जाये। प्रदेश के 29,000 कर्मचारियों को नियमित पद के समकक्ष 90 प्रतिशत मानेदय देने पर प्रतिवर्ष लगभग 150 करोड़ रूपये का अतिरिक्त वित्तीय भार मध्य प्रदेश सरकार पर आयेगा।