महादेव का प्रिय सावन का महीना शुरू हो गया है। इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। 29 जुलाई को सोमवार के साथ प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग बन रहा है। वहीं पांच अगस्त को सोमवार और नाग पंचमी के संयोग का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में भगवान शिव के पूजन-अर्चना से भोले बाबा की कृपा बरसती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन भगवान शंकर का महीना माना जाता है। शिव का अर्थ कल्याण है। कहा जाता है कि कण-कण में भगवान शिव का वास है। वेदों में उनका साकार और निराकार का वर्णन किया गया है। भगवान शिव क्षण में ही पसीज कर भक्तों को अभय प्रदान करते हैं।
सावन में सोमवार को भगवान शिव की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। सावन शुरू होते ही जगह-जगह बोल बम के नारे गूंजने लगते हैं। इस बार सावन में कुल चार सोमवार का संयोग बन रहा है। इसमें 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त और 12 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार पड़ेगा।
सावन की शिवरात्रि 30 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी। विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष पं. उदय शंकर भट्ट के अनुसार सोमवार को प्रदोष व्रत और नागपंचमी का योग श्रेष्ठ होता है। बताया कि सावन में भगवान शिव का अभिषेक किया जाना चाहिए।
भगवान शिव के सिर पर स्थित चंद्रमा अमृत का द्योतक है। गले में लिपटा सर्प काल का प्रतीक है। इस सर्प अर्थात काल को वश में करने से ही शिव मृत्युंजय कहलाए। उनके हाथों में स्थित त्रिशूल तीन प्रकार के कष्टों दैहिक, दैविक और भौतिक के विनाश का सूचक है। उनके वाहन नंदी धर्म का प्रतीक हैं। हाथों में डमरू ब्रह्म निनाद का सूचक है।