मप्र के 6876 कॉलोनाइजर्स पर FIR के बाद ही कॉलोनियां वैध की जाएंगी

भोपाल। सरकारी नियमों की खामियों का फायदा उठाकर अवैध कॉलोनियां काट चुके 6876 कॉलोनाइजर्स अब संकट में आने वाले हैं। सरकार इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगी, इनसे जुर्माना वसूला जाएगा तब कहीं जाकर कॉलोनी को वैध किया जाएगा। सरकार इसके लिए कैबिनेट में अध्यादेश लाने जा रही है। इसे मध्यप्रदेश अवैध कॉलोनी नियमितीकरण अधिनियम 2019 (Madhya Pradesh illegal colony Regulation Act 2019) नाम दिया गया है। 

आंध्र प्रदेश का फॉर्मूला लागू होगा

इसमें आंध्र प्रदेश के फॉर्मूले को प्रदेश में लागू करने का जिक्र है। इस फॉर्मूले के तहत सरकार अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर्स के खिलाफ एफआईआर और जुर्माने की कार्रवाई करेगी, जबकि रहवासियों से विकास शुल्क लेकर कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा। भाजपा सरकार में अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नपा कॉलोनाइजर रजिस्ट्रीकरण निर्बंधन तथा शर्तें नियम 1998 की धारा 15(ए) के तहत कार्रवाई की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 जून 2019 को इस धारा 15(ए) को शून्य घोषित कर दिया था। 

अ‌वैध कॉलोनी: अब तक क्या हुआ

राज्य सरकार ने वर्ष 1998 में मप्र कॉलोनाईजर नियम 1998 में नियम-15-क बनाया था। इस नियम से 30 जून 1998 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद 30 जून 2002 तक, 30 जून 2007 तक, 21 दिसंबर 2012 तक और आखिरी बार 31 दिसंबर 2016 तक कट चुकी अवैध कॉलोनियों को वैध करने के फैसले लिए गए।

सरकार ने नियम 15(ए) के अंतर्गत 6876 अवैध कॉलोनियों को वैध करने का फैसला लिया था। इसके लिए सावर्जनिक सूचना जारी हुई थी। नगरीय निकायों ने आपत्तियां सुनी थी। इसके बाद 1788 कॉलोनियों के लेआइट, विकास शुल्क तय किए गए। इन कॉलोनियों से विकास शुल्क लेकर और राशि जमा कराने के बाद नियमितीकरण शुरू कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने धारा 15(क) को रद्द कर दिया

इधर मप्र कॉलोनाईजर नियम 1998 में नियम-15-क के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दा​खिल हो गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 3 जून 2019 को राज्य शासन की धारा 15(क) को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने नगर पालिक अधिनियम 1956 की धारा 292-ई के प्रावधान के पालन में धारा 15(ए) को अवैध करार दिया। इसके साथ ही अवैध कॉलोनियों के विरूद्ध कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।

अब क्या होगा

अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ एफआईआर होगी। पुलिस चालान पेश करेगी।
जिन अवैध कॉलोनियों में 10 फीसदी ओपन एरिया नहीं छोड़ा गया होगा, उन पर जुर्माना लगेगा।
सरकारी जमीन, तालाब, उद्यान औऱ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण कर बनी कॉलोनियां नियमित नहीं होंगी। 
अवैध कॉलोनी के डायवर्शन को डीम्ड माना जाएगा। अफसरों पर कार्रवाई होगी।
अवैध कॉलोनी में बसे रहवासियों से विकास शुल्क के रूप में तय राशि ली जाएगी, जो कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से होगी।

आंध्र प्रदेश का फॉर्मूला क्या है

आंध्र में वन टाइम सैटलमेंट के आधार पर बिना मंजूरी के निर्माणों को वैध करने के लिए अधिनियम बनाया गया। इसमें अवैध कॉलोनी काटने वालों को सजा, जबकि प्लॉट पर मकान बनाने वालों को नुकसान नहीं होने देने का प्रावधान है। मकान नहीं गिराए गए। विकास शुल्क लेकर नियमित किया गया।

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