भारत में गरीबों की AC ट्रेन गरीब रथ बंद, लालू यादव ने शुरू कीं थीं | GARIB RATH TRAIN STOP

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने गरीबों के AC ट्रेनों में सफर करने का सपना साकार करने के लिए साल 2006 में गरीब रथ एक्सप्रेस की शुरुआत की थी। इनमें स्लीपर क्लास से थोड़ा ज्यादा किराया लेकर यात्रा कराई जाती थी लेकिन अब मौजूदा सरकार ने गरीब रथ ट्रेनों को मेल एक्सप्रेस में बदल रही है। यानी गरीब रथ ट्रेनें जल्द ही बंद होने वाली हैं।

इसी कड़ी में सबसे पहले पूर्वोत्तर रेलवे से चलने वाली काठगोदाम-जम्मू और काठगोदाम-कानपुर सेंट्रल गरीब रथ को 16 जुलाई से मेल-एक्सप्रेस के रूप में बदल दिया गया है, यानी इस रूट पर गरीब रथ का सस्ता सफर बंद हो गया है।

रेलवे का कहना है कि गरीब रथ की बोगियां बननी बंद हो गई हैं। यानी पटरी पर जो बागियां दौड़ रही हैं वो सभी करीब 14 साल पुरानी हैं। ऐसे में चरणबद्ध तरीके से गरीब रथ की बोगियों को अब मेल एक्सप्रेस में बदल दी जाएंगी। जिसकी शुरुआत भी हो गई है।

गरीब रथ ट्रेन को मेल या एक्सप्रेस ट्रेन में बदलते ही ट्रेन का किराया बढ़ जाएगा, जिससे गरीब रथ का सस्ता सफर बंद हो जाएगा। देश में कुल 26 गरीब रथ ट्रेनें हैं और सभी को धीरे-धीरे मेल एक्सप्रेस में तब्दील कर दिया जाएगा।

बता दें, गरीब रथ में 12 बोगियां होती हैं और सभी 3AC कोच होते हैं। इन ट्रेनों को मेल ट्रेनों में बदलने की योजना के तहत कोचों की संख्या 12 से बढ़ाकर 16 की जा सकती है। इन 16 बोगियों में थर्ड एसी, सेकेण्ड एसी, स्लीपर और जनरल कोच होंगे।

गौरतलब है कि साल 2005 में जब लालू यादव ने गरीब रथ ट्रेनें चलाने का ऐलान किया था, तब उनकी खूब वाहवाही हुई थी, क्योंकि एक आम आदमी का AC ट्रेन में सफर करने का सपना पूरा होने वाला था।

गरीब रथ अधिकतम 140 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम है। इस ट्रेन की सभी बोगियां थर्ड एसी हैं लेकिन इसका किराया सामान्य थर्ड एसी के मुकाबले करीब 40 फीसदी कम है। यात्रियों को खान-पान और बेड रोल के लिए अलग से पेमेंट करना होता है। एक बेड रोल के लिए 25 रुपये देना होता है, जिसमें एक तकिया, एक कंबल और दो चादर होती हैं।

उदाहरण के तौर पर फिलहाल आनंद विहार रेलवे स्टेशन से पटना जंक्शन की गरीब रथ ट्रेन का किराया करीब 900 रुपये है, जबकि मेल एक्सप्रेस ट्रेन के एसी-3 क्लास का किराया 1300 रुपये के आसपास है। यानी कुल 400 रुपये का फर्क है।

पहली गरीब रथ ट्रेन सहरसा-अमृतसर एक्सप्रेस थी, जो 5 अक्टूबर 2006 को बिहार के सहरसा से पंजाब के अमृतसर के बीच चलाई गई थी। इस ट्रेन में AC3 और चेयरकार होते हैं।

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