भोपाल। राज्य सरकार ने अध्यापक संवर्ग का स्कूली शिक्षा विभाग में संविलियन करने का निर्णय लिया है। अब पूर्व नियमों के अन्तर्गत कार्यरत अध्यापक संवर्ग जुलाई 2018 से स्कूल शिक्षा विभाग के सुसंगत पदों पर नियुक्त माने जाएंगे। भर्ती नियम 2018 के प्रावधानों के अधीन नियुक्त किये गये शिक्षकों पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 तथा मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के प्रावधान प्रभावशील होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस आशय के आदेश जारी कर दिये हैं।
अब प्रदेश में अध्यापक संवर्ग को मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम, 2018 दिनांक 1 जुलाई 2018 से लागू माना जायेगा। अध्यापक संवर्ग को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति के बाद शासकीय सेवकों की तरह वेतन-भत्ते एवं सुविधाएँ प्राप्त होंगी। अध्यापकों को एक जुलाई 2018 की स्थिति में छठवें वेतनमान में प्राप्त हो रहे वेतन के आधार पर उनका सातवें वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जायेगा। अध्यापकों को नियत वेतन पर शासन द्वारा समय-समय पर शासकीय सेवकों को देय महंगाई भत्ता प्राप्त होगा। सभी शिक्षकों को जुलाई 2018 के अन्तर्गत नियुक्ति दिनांक तक की सातवें वेतनमान की एरियर राशि भी देय होगी। अब सभी शिक्षकों के एमप्लाइ डाटा बेस, पे डाटा बेस तथा पोस्ट डाटा बेस संचालनालय कोष एवं लेखा के सेंट्रल सर्वर पर संधारित किये जाएंगे। इस प्रकार समस्त शिक्षकों के वेतन भत्तों एवं अन्य स्वत्वों का आहरण तथा कटौतियाँ संबंधित कोषालय के माध्यम से की जाएंगी।
आवासगृह आवंटन की पात्रता
सुसंगत पदों पर नियुक्त किये गये शिक्षकों को शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 के प्रावधानों के अनुरूप शासकीय आवास गृह के आवंटन की पात्रता होगी। मध्यप्रदेश शासकीय सेवकों के समान गृह भाड़ा भत्ते का लाभ प्राप्त होगा। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 1958 के प्रावधान के अनुसार चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पात्रता होगी। मध्यप्रदेश समूह बीमा सह-बचत योजना 2003 के संशोधित प्रावधान प्रभावशील होंगे। अध्यापकों के लिये वर्तमान में प्रभावशील राष्ट्रीय पेंशन योजना यथावत जारी रहेगी। शिक्षकों के अंशदान तथा शासन के अंशदान पूर्व प्रकिया अनुसार एन.एस.डी.एल. को प्रेषित किये जाएंगे। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 के अन्तर्गत जारी निर्देशों के अनुसार सेवानिवृत्ति/ सेवा में रहते हुए मृत्यु होने पर अवकाश नगदीकरण की पात्रता होगी। भर्ती नियम 2018 के प्रावधानों के अधीन नियुक्त किये गये शिक्षकों का शासकीय सेवा में रहते हुए निधन होने पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तत्समय प्रभावशील अनुकम्पा नियुक्ति की नीति के अनुसार उनके पात्र परिजन को अनुकम्पा नियुक्ति दी जाएंगी। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नीति अनुसार शिक्षकों के स्थानान्तरण किये जाएंगे।
पदोन्नति/क्रमोन्नति/समयमान के प्रयोजन के लिये अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा अवधि का लाभ अधिकतम 10 वर्ष तक प्राप्त होगा। भर्ती नियम 2018 के अन्तर्गत नियुक्ति यद्यपि नवीन नियुक्ति है, किन्तु सरकार द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए अध्यापकों द्वारा की गई सेवा को पदोन्नति/क्रमोन्नति/समयमान की पात्रता में गणना में लिये जाने का निर्णय लिया है।पदोन्नति के लिये 5 वर्ष का अनुभव निर्धारित किया गया है, जो उसके पूर्व में अध्यापक संवर्ग में दी गई सेवा से गणना में लिये जाएंगे। प्रथमक्रमोन्नति वेतनमान के लिये 12 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होना आवश्यक है। क्रमोन्नति में भी अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा को सेवा अवधि की गणना में लिया जायेगा। अध्यापक संवर्ग में यदि एक पदोन्नति तथा एक क्रमोन्नति/समयमान के माध्यम से 2 उच्चतर वेतनमान प्राप्त हो चुके हैं, तब आवश्यक सेवा अवधि पूर्ण करने पर तीसरे उच्चतर वेतनमान की पात्रता के लिये विचार में लिये जाने की पात्रता होगी।