भोपाल। कांग्रेस की ओर से जारी बयान के अनुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार की मान्यता है कि समाज का जो वर्ग कानून की रक्षार्थ अपना जीवन समर्पित करता है उसकी रक्षा का दायित्व सरकार का होना चाहिए। अतः मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अधिवक्ताओं द्वारा अपने दायित्वों के निर्भयता एवं स्वतंत्रतापूर्वक निर्वहन हेतु अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम 2019 का एक प्रारूप तैयार किया है, जो शीघ्र ही मंत्री परिषद के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जावेगा। प्रस्तावित विधेयक में अधिवक्ताओं को उनके कर्तव्य के निर्वहन करने से रोकने या उसमें बाधा पहुंचाने के लिए उन पर हमला करने, चैट पहुंचाने, धमकी देने इत्यादि को प्रतिबंधित करते हुए दंडित किए जाने के संबंध में प्रचलित कानूनों से अधिक कड़े कानून प्रस्तावित किए गए हैं।
ज्ञातव्य है कि विगत भाजपा सरकार में 12 अगस्त 2012 को घोषणावीर से ख्यात तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर एक बहुत बड़ी वकील पंचायत की थी जिसमें राज्य बार काॅसिंल के पदाधिकारी, उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, महाधिवक्ता कार्यालय, अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय, इंदौर एवं ग्वालियर के सभी विधि अधिकारी, जिला एवं तहसील स्तरीय सभी अभिभाषक संघों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सभी जिले के शासकीय अधिवक्ताओं, अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ताओं एवं विशेष लोक अभियोजकों को आमंत्रित किया गया था जिसमें यह घोषणा की गई थी कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एक कानून लाया जाएगा।
जैसी उपमा स्वयं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपने नेता को दी थी उसी के अनुरूप तत्कालीन घोषणावीर मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं को बुलाकर कानून के नाम पर छः वर्षों तक सिर्फ झांसा ही परोसा। यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की सरकार अपने छः माह के कार्यकाल में अपने प्रत्येक वादे पर खरी उतरी है।
जैसी उपमा स्वयं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपने नेता को दी थी उसी के अनुरूप तत्कालीन घोषणावीर मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं को बुलाकर कानून के नाम पर छः वर्षों तक सिर्फ झांसा ही परोसा। यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की सरकार अपने छः माह के कार्यकाल में अपने प्रत्येक वादे पर खरी उतरी है।
प्रस्तावित विधेयक की विषय वस्तु समवर्ती सूची में आती है एवं प्रस्तावित विधेयक के प्रावधान भारतीय दंड संहिता (प्च्ब्) में परिभाषित आपराधिक बल, हमला एवं अपराधिक अभित्रास के प्रावधानों से असंगत है। अतः संविधान के अनुच्छे 254 (2) के अन्तर्गत विधेयक विधान सभा में पारित होने के पश्चात उसे मान. राज्यपाल महोदय द्वारा, मान. राष्ट्रपति महोदय की अनुमति (।ेेमदज) हेतु रक्षित करना आवश्यक होगा। अतः मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रतिबद्ध है की अधिवक्ताओं को अधिवक्ता सुरक्षा कानून का संरक्षण प्रदान किया जायेगा।