भोपाल। भाजपा से निष्कासित कर दिए गए मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया संपर्क विभाग के पूर्व संयोजक अनिल सौमित्र अब आकाश विजयवर्गीय मामले के सहारे अपनी दाल गलाने की कोशिश कर रहे हैं। वो चाहते हैं कि उनका निलंबन समाप्त कर दिया जाए, साथ ही उन्होंने सांकेतिक चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वो सार्वजनिक मंच पर पार्टी को टारगेट करने से नहीं चूकेंगे।
कौन हैं अनिल सौमित्र
कब शब्दों में कहें तो अनिल सौमित्र, प्रभात झा पार्ट-2 हैं। वो अपनी सार्वजनिक पहचान मीडिया एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर रखते हैं जबकि उनकी रुचि भाजपा की राजनीति में है। अनिल मुज़फ्फरपुर (बिहार) के रहने वाले हैं। यहीं उनका जन्म हुआ। अनिल सौमित्र ने दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता की पढ़ाई की। फिर एक एनजीओ के लिए काम करने लगे। रायपुर में एक सरकारी संस्थान में भी अनिल ने सेवाएं दीं हैं। इसी बीच उन्होंने आरएसएस से प्रगाढ़ संबंध बनाए। अनिल सौमित्र भोपाल में आरएसएस के मुखपत्र 'पांचजन्य' के विशेष संवाददाता भी रहे। 'पांचजन्य' के कारण उनकी मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं से अच्छी पहचान हो गई और फिर अनिल सौमित्र भाजपा के पदाधिकारी बन गए।
अनिल सौमित्र को निष्कासित क्यों किया गया
अनिल सौमित्र खुद को मूलत: पत्रकार बताते हैं। वो आरएसएस के बुद्धिजीवियों के समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं परंतु लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता बता दिया। हालांकि उनके अलावा अन्य 2 नेताओं ने भी ऐसा ही किया परंतु पार्टी ने उन्हे माफ कर दिया और अनिल सौमित्र को निष्कासित कर दिया। शायद इसलिए क्योंकि अनिल सौमित्र को शेष 2 नेताओं की तुलना में ज्यादा ठीक प्रकार से समझना चाहिए था कि चुनाव में उनकी पोस्ट का क्या असर हो सकता है।
अनिल सौमित्र अब क्या कोशिश कर रहे हैं
अनिल सौमित्र एक बार फिर अपनी तुलना राजनीति की पाठशाला के प्राथमिक छात्र से कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के बाद अनिल तेजी से एक्टिव हुए। पहले सोशल मीडिया पर और फिर अपने पत्रकार मित्रों के माध्यम से बयान दिए। तर्क सिर्फ इतना कि जब सबको माफ किया जा रहा है तो उनकी सजा भी माफ कर दी जाए। शायद वो अब भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आकाश विजयवर्गीय और अनिल सौमित्र में क्या अंतर है।