नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट (ALLAHABAD HIGH COURT) ने मृतक कर्मचारी के आश्रितों (Dependent of deceased employee) के हित में ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने सरकारी सेवा में समान अवसर व सामाजिक न्याय में सामंजस्य स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को मृतक आश्रितों को विशेष पैकेज (SPECIAL PACKAGE) देने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रितों की बड़ी संख्या और पदों की कमी को देखते हुए सरकार ऐसा तरीका अपनाए, जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्त हो और आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिल सके।
कर्मचारी की रिटायरमेंट तक का शेष वेतन एकमुश्त अदा करे सरकार
कोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार दिवंगत कर्मचारी के निधन से पीड़ित परिवार पर अचानक आई आपत्ति से उबरने के लिए ऐसा कानून बनाए, जिससे नौकरी के दौरान मरने वाले कर्मचारी के आश्रितों को नौकरी की जगह तीन या पांच साल या जब तक वह कर्मचारी नौकरी करता, तब तक का वेतन दिया जाए, न कि उसके आश्रित को नौकरी। ऐसा करने से खुली प्रतियोगिता से नियुक्ति के अवसर बढ़ेंगे और आश्रित को भी सहायता मिल सकेगी।
नियुक्तियां सीधी भर्ती से ही की जानी चाहिए
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मत्तिल एवं न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने अंकुर गौतम व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी व अन्य को सुनने के बाद दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले कहा कि नियुक्तियां सीधी भर्ती से ही की जानी चाहिए, मृतक आश्रित की अनुकंपा नियुक्ति अपवाद है, जो सामाजिक न्याय के तहत की जाती है। यह आश्रित का अधिकार नहीं है कि उसे नियुक्त ही किया जाए। यह व्यवस्था कर्मचारी की मृत्यु से उसके परिवार पर अचानक आई विपत्ति से बचाव के लिए की गई है।
लेकिन यह बैकडोर इंट्री है, जिसे सही नहीं कहा जा सकता। इसलिए ऐसा तरीका अपनाया जाए जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य अभ्यर्थी की नियुक्ति व सामाजिक न्याय दोनों की पूर्ति हो सके। इसीलिए सभी सरकारी विभागों, निकायों में मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए नियम बनाए जाएं। पुलिस विभाग में रिक्त पदों के 50 फीसदी पद सीधी भर्ती व शेष 50 फीसदी पदोन्नति से भरे जाने का नियम है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि पांच साल या कर्मचारी की सेवानिवृत्ति जो पहले हो, तब तक आश्रित को कर्मचारी को मिल रहा वेतन दिया जाए। ताकि मृतक आश्रित अचानक आए संकट से उबर सके।
यदि अनुकंपा नियुक्ति दीं तो योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा
कोर्ट ने कहा कि सामान्य अवधारणा है कानून सही है, अब जो इसे चुनौती देगा उसे सिद्ध करना होगा कि किस प्रकार यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। कोर्ट ने कहा आश्रितों की बड़ी संख्या होने के कारण यदि सभी की नियुक्ति कर दी गई तो प्रतियोगिता से खुली भर्ती के लिए अवसर नहीं बचेगा। कोर्ट ने पुलिस विभाग में सीधी भर्ती कोटे के पांच फीसदी पदों पर आश्रितों की नियुक्ति के नियम को वैध करार दिया है। साथ ही कहा कि ऐसा न करने से आश्रितों की संख्या अधिक होने से सीधी भर्ती के अवसर कम होंगे। कोर्ट ने प्रदेश के सभी विभागों के लिए आश्रितों को सामाजिक न्याय के कानून बनाने के लिए आदेश की प्रति मुख्य सचिव को प्रेषित करने को कहा है।
याचियों के अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी का कहना था कि मृतक आश्रित सेवा नियमावली का नियम 5(1) संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है, क्योंकि यह केवल पांच फीसदी रिक्तियों पर ही आश्रित की नियुक्ति करने की अनुमति देता है। इससे बहुत से मृतक आश्रित नियुक्ति नहीं पा सकेंगे। इस नियम के अनुसार सीधी भर्ती की पांच फीसदी रिक्तियों पर मृतक आश्रितों की संख्या ज्यादा होने पर टेस्ट से मेरिट पर चयन किया जाएगा।