भोपाल। भोपाल से इंदौर के बीच प्रस्तावित 146.88 किमी लंबे एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए 15 हजार पेड़ों को काटा जाएगा। कटाई के कारण आसपास के क्षेत्रों में हरियाली घट जाएगी। स्थानीय वातावरण पर इस का विपरित असर पड़ेगा।
लोगों को एक्सप्रेस वे की सुविधा तो मिल जाएगी, लेकिन पेड़ों की कटाई से होने वाले नुकसान की भरपाई लंबे समय तक होना मुश्किल है। हालांकि काटे जाने वाले पेड़ों की भरपाई करने पौधे लगाने के नियम हैं, लेकिन भोपाल के ही कई पुराने प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनके लिए पेड़ तो काटे गए लेकिन दूसरी जगह पेड़ नहीं लगाए गए।
रिपोर्ट में 22 हजार पोधों का जिक्र
नोडल एजेंसी एमपीआरडीसी ने इस एक्सप्रेस वे की जो रिपोर्ट बनाई है। उस रिपोर्ट में 22 हजार पौधे चिन्हित किए हैं। इनमें से 15 हजार पौधे ऐसे हैं जो निर्माण में आड़े आ रहे हैं। रिपोर्ट में लिखा गया है कि इनकी कटाई जरूरी है। बाकी के पौधे रोड के किनारे निर्माण के दायरे से बाहर आ रहे हैं। इनकी कटाई की जरुरत नहीं पड़ेगी। हालांकि ऐनवक्त पर ये पेड़ भी कटाई के दायरे में आ सकते हैं।
पेड़ों की कटाई से होने वाले नुकसान पर होगी बात
पेड़ों की कटाई के पहले पर्यावरण नुकसान पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय स्थानीय लोगों से बातचीत करेगा। यह बातचीत जनसुनवाई में होगी। लोग अपनी-अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और स्थानीय जिला प्रशासन ने जनसुनवाई की तारीख तय की है।
भोपाल सीमा में बनने वाले सिक्सलेन से होने वाले संभावित नुकसान पर 3 सितंबर को सुनवाई होगी। यह हुजूर तहसील की बड़झिरी वन समिति सभाकक्ष में सुबह 11 बजे से होगी। रायसेन जिले की सीमा में बनने वाले सिक्सलेन को लेकर 29 अगस्त को सुनवाई होगी, जो मंडीदीप नगर पालिका सभाकक्ष में होगी। सीहोर जिले की सीमा में बनने वाले सिक्सलेन को लेकर 26 अगस्त को इच्छावर नगर पंचायत सभाकक्ष में जनसुनवाई होगी।
पर्यावरण नुकसान से जुड़ी आपत्तियों को ही सुना जाएगा
सिक्सलेन को लेकर पहले चरण में जो सुनवाई हो रही है। वह पर्यावरणीय नुकसान पर आधारित है। यानी लोग पेड़ों की कटाई, सिक्सलेन को लेकर की जाने वाली खुदाई से होने वाले संभावित नुकसानों से जुड़े मामलों पर ही आपत्ति दर्ज करा सकेंगे। जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामलों की सुनवाई बाद में होगी।
पेड़ कटे, लेकिन भरपाई नहीं हुई
आमतौर पर देखा गया है कि सरकारी प्रोजेक्ट के लिए पेड़ तो काटे जाते हैं, लेकिन इसकी भरपाई नहीं हो पाती है। बरखेड़ा से बुधनी के बीच बन रही तीसरी रेल लाइन में करीब 22 हजार पेड़ काटे गए। हबीबगंज रेलवे स्टेशन के विकास के लिए सैकड़ों पेड़ कटे। इनकी भरपाई के लिए एजेंसी ने कहां-कितने पेड़ लगाए, इसकी पहचान कभी हो नहीं पाती।
फैक्ट फाइल
- 146.88 किमी होगी सिक्सलेन की कुल लंबाई
- 4 हजार 300 करोड़ स्र्पए की लागत से बनेगा एक्सप्रेस वे
- 20.8 किमी लंबा होगा भोपाल की सीमा में सिक्सलेन
- 84.8 किमी लंबा सीहोर की सीमा में होगा
- 10.5 किमी क्षेत्र में रायसेन जिले से होकर गुजरेगा सिक्सलेन
नोडल एजेंसी करेगी पौधारोपण, एकमुश्त पैसा जमा कराया जाएगा
पेड़ कटाई से लेकर काटे गए पेड़ों की भरपाई का काम नोडल एजेंसी का है। नियमों के मुताबिक पेड़ काटने पर अन्य जगह पौधारोपण किया जाएगा। इसके लिए नोडल एजेंसी से एकमुश्त पैसा भी जमा कराया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिला प्रशासन की मौजूदगी में काटे जाने वाले पेड़ों से संभावित नुकसान को लेकर आने वाली आपत्तियों को सुनेगा। ये आपत्तियां केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी जाएगी। उसके आधार पर ही एक्सप्रेस वे को पर्यावरण अनुमति मिलेगी।
- एए मिश्रा, जोनल अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड