भोपाल। जिला विधिक प्राधिकरण में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें पत्नी को गंभीर बीमारी होने पर पति उनका साथ देने की बजाय उन्हें छोड़े हैं। ऐसे ही एक में गलत मेडिकल रिपोर्ट के कारण एक पति-पत्नी का रिश्ता तलाक तक पहुंच गया। दरअसल, तीन साल पहले न्यू मार्केट निवासी अवंतिका चौहान (काल्पनिक नाम) की शादी शाहपुरा निवासी सरकारी नौकरी में पदस्थ अमित चौहान (काल्पनिक नाम) से हुई।
डेढ़ साल पहले अवंतिका गर्भवती हुई तो जांच में संबंधित डॉक्टर ने कई टेस्ट लिखे थे। इनमें से एचआईवी टेस्ट की रिपोर्ट पॉजीटिव निकली। तब साथ देने के बजाय पति और ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। करीब दो माह ही अवंतिका अपने पति के साथ रही। इस दौरान पति ने अवंतिका को धोखे से अस्पताल ले जाकर उसका गर्भपात करा दिया। इसके बाद उसे मायके छोड़ दिया। पीड़िता के परिजनों ने जब दोबारा उसकी जांच कराई तो रिपोर्ट में एचआईवी पॉजीटिव नहीं होना पाया गया। पता चला कि पुरानी रिपोर्ट गलत थी। इसके बाद पति के सुर बदल गए और वह उसे वापस लेने आया, लेकिन महिला ने इंकार कर तलाक का केस दायर कर दिया। अब इस दंपती की काउंसिलिंग जिला विधिक सेवा प्राधिकारण में चल रही है।
पत्नी ने काउंसिलिंग में बताया कि जब एचआईवी पॉजीटिव होने का पता चला तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। तब मेरा साथ देने की बजाय ससुराल वालों ने मुझे परेशान किया। गर्भ में पल रहे मेरे बच्चे को भी मार दिया। पति से भावनात्मक लगाव उम्मीद थी तो उन्होंने मुझे मायके भेज दिया। अब मुझे उनके साथ नहीं रहना है। मुझे तलाक चाहिए। वहीं पति ने काउंसिलिंग में बताया कि जब पत्नी की रिपोर्ट एचआईवी पॉजीटिव आई तो मैं परेशान हो गया था। अब पत्नी को साथ रखना चाहता हूं, लेकिन उसने तलाक का केस लगाया है।
काउंसलर का कहना है कि आजकल प्राधिकरण में कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें अगर पत्नी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होती है तो उसे पति छोड़ देता है, लेकिन पत्नियां साथ नहीं छोड़ती हैं। काउंसिलिंग के दौरान दोनों पक्षों को समझाया जाता है और रिश्ते को टूटने से बचाने का प्रयास किया जाता है। इस मामले में एचआईवी की रिपोर्ट गलत होने के कारण महिला को बहुत कुछ सहना पड़ा। हालांकि पति उसे रखना चाहता है। दोनों पक्षों को आगे काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया है।