इस बात की जानकारी तब हुई, जब मामला विधिक सेवा प्राधिकरण में पहुंचा। हालांकि, यहां बहन को कानूनी सहायता दी गई, जिसकी वजह से उसका विधिवत तलाक हो गया। लिंग परिवर्तन करवाने से पहले देवेंद्र बिजनेस करता था। देवेंद्र के मुताबिक, उसकी बहन की शादी 20 मई 2016 को हुई थी। उस समय तक वह एक सामान्य पुरुष की तरह ही रहता था। बहन की शादी के बाद ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बहन के दांपत्य जीवन को बचाने के लिए उसने कई प्रयास किए, लेकिन बात नहीं बनी।
देवेंद्र ने पुलिस में शिकायत की, तो बहन की ननद और सास ने मिलकर साजिश की। ननद उल्टे ज्यादती की शिकायत करने थाने पहुंच गई, जिससे वह डर गया। इसके बाद नवंबर 2017 में अपना लिंग बदलवा लिया और महिला के रूप में रहने लगा। देवेंद्र इतना संवेदनशील था कि परिजनाें काे परेशानी न हाे इसके लिए घर भी छाेड़ दिया और किन्नरों की टोली के साथ रहने लगा। उसका कहना है कि उसने अपनी इकलाैती बहन की दूसरी जगह शादी कर दी है। वह तीन भाई, एक बहन है। वह घर का सबसे बड़ा लड़का था। अब वह ट्रांसजेंडर के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।
कोर्ट में मेडिकल के दस्तावेज भी पेश किए थे : भोपाल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव न्यायधीश आशुतोष मिश्रा का कहना है कि बहन की खातिर ट्रांसजेंडर बनने वाले युवक ने अपने मेडिकल दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। लिंग परिवर्तन का फैसला उसका अपना फैसला था, तो हमने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। चूंकि एक ट्रांसजेंडर अपनी बहन की समस्या लेकर उनके पास आया था, इसलिए उसकी मदद करना उनका फर्ज था।