अशोका गार्डन थाना क्षेत्र स्थित सुभाष कॉलोनी के प्लॉट को लेकर 56 साल बाद गड़बड़ी उजागर हुई है। प्रॉपर्टी कारोबारी ने टीएंडसीपी से अप्रूव्ड प्लॉट वर्ष 1962 में खरीदा था। उनकी मौत के 55 साल बाद 2018 में बहू ने जब रजिस्ट्री देखी तो प्लॉट पर पहुंचीं। पता चला कि इस प्लॉट को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किसी और को बेच दिया गया था। बेचने वाले का निधन हो चुका है, जिसने इस गड़बड़ी के लिए अपने दामाद के नाम का इस्तेमाल किया। रजिस्ट्री में अपने बेटे के दस्तखत भी लिए। सालभर पहले हुई शिकायत की जांच के बाद अशोका गार्डन पुलिस ने मृत व्यक्ति और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।
सुभाष कॉलोनी निवासी 54 वर्षीय मंजीत सिंह गृहिणी हैं। पति नरेंद्र और ससुर लक्खा प्रॉपर्टी का कारोबार करते थे। टीआई उमेश यादव के मुताबिक लक्खा अब नहीं रहे। उन्होंने वर्ष 1962 में सुभाष कॉलोनी में एक प्लॉट खरीदा था। वर्ष 2018 में मंजीत को इस प्लॉट में हुई गड़बड़ी की जानकारी मिली। पता चला कि 19 साल पहले यानी वर्ष 2000 में इस प्लॉट को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किसी और को बेच दिया गया है। तब उन्होंने अशोका गार्डन पुलिस से शिकायत की। जांच में सामने आया कि उक्त प्लॉट को किशन चंद नंदवानी ने बेचा था। दस्तावेजों में खुलासा हुआ कि किशन ने इसके लिए दामाद टीकम दास के नाम का इस्तेमाल किया, लेकिन रजिस्ट्री में तस्वीर अपनी लगाई थी। इसमें दस्तखत भी झूठे किए और गवाह के तौर पर बेटे मनोहर का नाम दर्ज है।
धोखाधड़ी की धारा लगाई
टीआई ने बताया कि दस्तावेजी साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस ने किशन और उनके बेटे मनोहर के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। हालांकि, किशन का निधन 2013 में हो चुका है। इसलिए आगे की कार्रवाई मनोहर को आरोपी मानते हुए ही की जाएगी।
राजधानी में फैला है फर्जी रजिस्ट्री का कारोबार
खाली प्लॉट पर कब्जा या फर्जी दस्तावेज के आधार पर उसे बेच देने का कारोबार खूब फैला है। निशातपुरा, अशोका गार्डन, रातीबड़, कोहेफिजा, गांधी नगर, शाहजहांनाबाद जैसे इलाके इसके लिए ज्यादा बदनाम हो रहे हैं। इस साल में राजधानी पुलिस ने ऐसे 20 से ज्यादा केस दर्ज किए हैं।