काेच्चि। केरल हाईकोर्ट के जज वी चिताम्बरेश ने अपने समाज को एकजुट होकर जातिगत आधार पर आरक्षण का विरोध करने की सलाह दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आरक्षण का आधार जाति या समुदाय नहीं बल्कि आर्थिक होना चाहिए। बता दें कि वो अपने समाज के एक कार्यक्रम में सभा को संबोधित कर रहे थे।
हाल में तमिल ब्राह्मणाें के ग्लाेबल सम्मेलन में जस्टिस चिताम्बरेश ने ब्राह्मणाें के सामाजिक-आर्थिक हालात का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर हाेने की वजह से वह अपनी काेई राय जाहिर नहीं कर रहे हैं लेकिन यह ब्राह्मणों के लिए मंथन का वक्त है। क्या आरक्षण सिर्फ समूह या जाति के आधार पर मिलना चाहिए।
उन्हाेंने 10 प्रतिशत आरक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि एक ब्राह्मण रसोइए का बेटा यदि नॉन क्रीमीलेयर में आता है तो उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। जबकि एक लकड़ी व्यापारी का बेटा जो कि ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखता है और नॉन क्रीमीलेयर के दायरे में आता है तो उसे आरक्षण का लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मैं आपको केवल यह बताना चाहता हूं कि आंदोलन के लिए आपके पास एक मंच है। आप सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात उठाएं, जाति या धर्म आधारित आरक्षण की नहीं।
ब्राह्मण समुदाय में कुछ खास बातें होतीं हैं
ब्राह्मण समुदाय की सराहना करते हुए उन्हाेंने कहा कि ब्राह्मण द्विजन्मना होता है। यानी वह दो बार जन्म लेने वाला होता है। पूर्व जन्म में किए अच्छे कर्मों की वजह से उसका दो बार जन्म होता है। उन्हाेंने कहा, इनमें कुछ खास विशेषताएं होती हैं। जैसे स्वच्छ रहना, अच्छी सोच, अच्छा चरित्र और ज्यादातर का शाकाहारी होना। ब्राह्मण शास्त्रीय संगीत का पुजारी होता है। अगर किसी व्यक्ति के अंदर यह सभी आदतें समाहित हो जाती हैं तो वो ब्राह्मण होता है।