भोपाल। मैथ और साइंस 2 ऐसे विषय हैं जो ज्यादातर स्टूडेंट्स को डरा देते हैं। पिछले सालों में कई स्टूडेंट्स ने मैथ से डर के चलते मौत को चुना। उन्होंने गणित के कारण सुसाइड किया लेकिन अब ऐसा नहीं करना होगा। यदि वो गणित पढ़ना पसंद नहीं करते तो परीक्षा में उन्हे सरल पेपर दिया जाएगा। उन्हे केवल परीक्षा फार्म भरते समय बेसिक मैथ्स का विकल्प चुनना है।
स्टैंडर्ड और बेसिक मैथ्स हैं वैकल्पिक
कक्षा 10वीं के बच्चों को ही ये सुविधा दी जा रही है। जिसमें स्टूडेंट्स को पूरे साल मैथ्स का पूरा सिलेबस पढ़ना होगा। जब बोर्ड परीक्षा के फॉर्म भरे जाएंगे तब बच्चों को इस फॉर्म में स्टैंडर्ड मैथ्स और बेसिक मैथ्स में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा। जिस बच्चे को आगे की कक्षाओं में गणित विषय नहीं लेना है, वे बेसिक मैथ्स का आप्शन चुनकर सकते हैं। इसमें उन्हें परीक्षा में गणित के आसान सवाल पूछे जाएंगे।
वहीं जो बच्चे आगे मैथ्स फील्ड में जाना चाहते हैं, वे स्टैंडर्ड मैथ्स का विकल्प चुनेंगे और उनका पेपर कठिन होगा। इस दौरान यदि बच्चे को मैथ्स में रुचि बढ़ती है और वो आगे की कक्षा में भी मैथ्स विषय को चुनना चाहता है, तो उसे कंपार्टमेंट परीक्षा के दौरान दोबारा गणित का पेपर देना होगा। जो की स्टैंडर्ड लेवल का होगा। यदि बच्चा इसे पास कर लेता है, तब वह आगे की कक्षा में मैथ्स विषय ले सकता है।
मैथ्स इंप्रूव करने का मिलेगा मौका
स्टूडेंट्स को स्टैंडर्ड और बेसिक मैथ्स दो विकल्प मिल रहे हैं। कक्षा 10वीं में सभी बच्चे गणित की कक्षा में पूरा सिलेबस पढ़ेंगे। टीचर भी एक ही होगा। बस परीक्षा में बच्चे कठिन पेपर आने से फेल हो जाते हैं, इस विकल्प से ये मुश्किल आसान हो जाएगी। बेसिक मैथ्स के बाद यदि बच्चा अपने मैथ्स सब्जेक्ट को इंप्रूव करना चाहता है, तो इसके लिए उसे दोबारा परीक्षा देना होगा।
पास होने पर ही वो आगे मैथ्स फील्ड को चुन सकता है। सहोदय अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार चंदेल ने बताया कि इस सत्र से ये सुविधा स्टूडेंट्स को दी जा रही है। स्टूडेंट्स में इसे लेकर कंफ्यूजन भी है कि उन्हें अभी से स्टैंडर्ड और बेसिक मैथ्स में से किसी एक को चुनना है, जबकि ऐसा नहीं है। स्टूडेंट्स को बोर्ड परीक्षा के लिए भरे जाने वाले फॉर्म में ये विकल्प चुनना है। इस विकल्प से सिर्फ पेपर का डिफिकल्टी लेवल कम और ज्यादा होगा। स्टूडेंट्स को सिलेबस पूरा पढ़ना होगा।