E-TENDER SCAM में मेरे खिलाफ सबूत हों तो कार्रवाई करके दिखाएं: नरोत्तम मिश्रा

भोपाल। ई-टेंडर घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू की शुक्रवार को की गई कार्रवाई के बाद पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक नरोत्तम मिश्रा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को चुनौती दी है। मिश्रा ने कहा है कि उनके खिलाफ सरकार के पास कोई भी सबूत हो तो कार्रवाई करके दिखाएं। सरकार छोटी-छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर रही है। 

नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ पर राजनीति में गलत परंपरा को अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राजनीति मूल्यों पर होती है विद्वेषपूर्ण और झूठों तथ्यों पर आधारित होती है। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा दतिया में शनिवार को मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि "मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ई-टेंडर कराने का निर्णय लेती है और ये कार्यवाही उसकी निगरानी में होती है। एक भी ऐसा ई-टेंडर बताएं जिसमें टेंपरिंग के बाद में काम हुआ हो। जिन टेंडरों में भी टेंपरिंग हुई उन्हें हमने ही निरस्त कर जांच शुरू कराई।"

पूर्व मंत्री ने कहा, "कमलनाथ ने तो उन्हीं कंपनियों को ठेके दे दिए, जिनका हमने टेंडर निरस्त किया था। अगर सरकार के पास वाकई कोई सबूत हैं तो वह सबके सामने रखें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को इस बात का है भ्रम है कि वह इस तरह की कार्रवाई कर हमारे अभियान से भ्रमित कर सकती है तो वह दिमाग से ये बातें निकाल दें।" 

निजी सचिव के घर ईओडब्ल्यू का छापा : 
इधर, शनिवार को सुबह नरोत्तम मिश्रा के निज सचिव वीरेंद्र पांडे के घर पर ईओडब्ल्यू ने छापा मारा। उनके शास्त्री नगर स्थित शासकीय आवास पर छापा मारा गया। ईओडब्ल्यू वहां से शूटकेस और दस्तावेज जब्त किए गए हैं। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने परिजनों से भी पूछताछ की है। शुक्रवार को रात गिरफ्तारी के बाद दोनों कर्मचारियों निर्मल अवस्थी और वीरेंद्र पांडे बीमार हो गए हैं, पहले उन्हें जेपी अस्पताल में और बाद में हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

शुक्रवार को निज सचिव गिरफ्तार 
शुक्रवार को देर शाम ई-टेंडर को लेकर हुई गड़बड़ी के मामले में ईओडब्ल्यू ने नरोत्तम मिश्रा के दो पूर्व निज सचिव वीरेंद्र पांडे और निर्मल अवस्थी को गिरफ्तार किया था। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के पदाधिकारियों की मिलीभगत से जल संसाधन विभाग के ई-टेंडर्स में गड़बड़ी कर गुजरात और हैदराबाद की कंपनियों को टेंडर दिलाए। दोनों ही पूर्व मंत्री के निजी स्टाफ में पदस्थ थे।

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