किसानी केंद्र और राज्य मिलकर कुछ करे | EDITORIAL by Rakesh Dubey

NEWS ROOM
नई दिल्ली। किसान और किसानी सालों से संकट में चल रहे हैं | कहने को देश के कुल घरेलू उत्पादन में कृषि क्षेत्र का योगदान 17-18 प्रतिशत है. इसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा रोजगार है. इसके बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है | परिणाम किसान की मौत है | यह क्षेत्र लंबे समय से संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपेक्षित वृद्धि हासिल नहीं हो पा रही है| केंद्र सरकार ने इस बजट में संकेत दिया है कि पिछले सालों की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता मिलेगी| आज मध्यप्रदेश सरकार का बजट आने को है, प्रदेश का किसान इस बात का इंतजार कर रहा है कि उससे इसमें क्या राहत मिलती है.

समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी, बीमा योजनाओं का विस्तार तथा सम्मान निधि जैसे उपायों से किसानों को राहत देते है और उनकी आमदनी बढ़ने की उम्मीद बंधती है| वैसे किसानी में खेतिहर मजदूरों की अहम भूमिका होती है| केंद्र का दावा है कि आयुष्मान भारत योजना से बीमारी के इलाज पर होनेवाले खर्च का दबाव कम हुआ है| जन-धन योजना जैसी वित्तीय समावेशी पहलों से भी ग्रामीण गरीबों को बहुत राहत मिली है| यह भी दावा है कि ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए आवंटन को लगातार बढ़ाया गया है| इसके साथ कार्यों के निर्धारण और निगरानी की प्रक्रिया को भी दुरुस्त किया गया है| लेकिन इस साल बहुत कमजोर मॉनसून तथा चिंताजनक जल संकट की वजह से खाद्य उत्पादन कम होने के साथ पलायन तेज होने की आशंका भी है| जून में पांच सालों में सबसे कम बारिश हुई है, जिससे खरीफ की बुवाई में कमी आयी है| इस निराशा के माहौल में ग्रामीण इलाकों में मांग घटने से औद्योगिक वृद्धि पर भी नकारात्मक असर हो सकता है|

केंद्र और राज्य से तात्कालिक उपायों के साथ दीर्घकालिक रणनीति बनाने की दरकार है| विभिन्न कल्याण और विकास योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्र की बेहतरी के पहलू पर ध्यान देने के कारण अब सरकार के पास ठोस नीतिगत पहल की पूरी गुंजाइश है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानी के संरक्षण और वितरण पर समुचित ध्यान देने की मंशा जाहिर कर चुके हैं. खेती के मशीनीकरण के अच्छे नतीजे हमारे सामने हैं| अब पानी की बचत के हिसाब से फसल लगाने तथा तकनीक के ज्यादा इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए| जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान बढ़ने से जिन क्षेत्रों में बाढ़ और सूखे की स्थिति बढ़ रही है, भारत भी इसमें शामिल है| 

एक अन्य चुनौती खेत से मंडी और बाजार होते हुए उपभोक्ता तक उपज को पहुंचाने का सिलसिला है | इस सिलसिले में मुनाफे का बड़ा हिस्सा किसानों तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है|इसमें उपज को नुकसान से बचाने के लिए गोदामों और वाहनों का पूरा इंतजाम जरूरी है| किसानों की आमदनी बढ़ाना सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य है. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना महत्वपूर्ण है| इससे वैकल्पिक रोजगार और उद्यमों की संभावना भी बढ़ेगी तथा खेती पर निर्भर लोगों की संख्या भी कम होगी| केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की ऊंचाई पर ले जाने का लक्ष्य रखा है| इसे हासिल करने में खेती और ग्रामीण आर्थिकी की भूमिका को नया रूप देने की जरूरत है | राज्य और केंद्र दोनों को मिलकर काम करना होगा |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!