मध्यप्रदेश: सरकार गिरा दोगे, पर बना नहीं पाओगे | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
विधानसभा के बजट-सह-पावस सत्र का दो दिन पहले समापन हो गया। अब इस सरकार के गिरने और भाजपा की सरकार बनने की बात कुछ और आगे बढ़ गई। विभाजित कांग्रेस इस सत्र में सदन के भीतर एक दिखी और एकता की दम भरने वाले भाजपा के पहलवान अपनी कुर्सी पर ही दंड पेलते रहे। जाते-जाते प्रतिपक्षी भाजपा के दो विधायकों ने सरकार द्वारा लाये विधेयक के पक्ष में मतदान भी कर दिया। दोनों ही पक्षों के कुछ विधायक अपने बाड़े कूदने पर आमादा है, बाज़ार भाव देख रहे हैं। खुला खेल खेलने वाली बसपा की ओर से तो साफ़ कह  दिया गया है कि “ भाजपा से धन लो, कांग्रेस को समर्थन दो। ”२९ जुलाई को नये राज्यपाल शपथ लेंगे। श्री लालजी टंडन को राज्यपाल को शपथ प्रदेश के मुख्यन्यायाधिपति दिलाएंगे। राजभवन की गतिविधियां की अर्थों में महत्वपूर्ण हो जाएगी। विधानसभा में और विधानसभा के बाहर जो कुछ घटा वो भाजपा की शक्ति के पैनेपन का बंटवारे से ज्यादा कुछ नहीं है।

मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में कमलनाथ सरकार गिराने की चेतावनी दी। उन्होंने विधानसभा में कहा कि अगर हमारे ऊपर वाले नंबर 1 और 2 का आदेश हुआ तो कांग्रेस सरकार 24 घंटे भी नहीं चलेगी। भाजपा नेता के बयान पर सदन में हंगामा हुआ। इसबीच, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि “आपके नंबर 1 और 2 समझदार हैं, इसलिए आदेश नहीं दे रहे। ये नंबर एक और दो कौन हैं? अगर भाजपा को लगता है तो आज ही अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। साबित हो जाएगा कि सरकार अल्पमत में है या नहीं।” कमलनाथ और उनके सहयोगियों के हौसले विभाजित भाजपा को देखकर ही बुलंद हैं।

इसकी बानगी सदन में दंड विधि विधेयक पर हुई वोटिंग में दिखी। भाजपा के दो विधायकों ने सरकार के समर्थन वोटिंग की। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने दावा किया कि मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शहडोल के ब्यौहारी विधानसभा से शरद कोल ने सरकार के पक्ष में वोट डाले हैं। वोटिंग के बाद मंत्री पीसी शर्मा ने दावा किया कि भाजपा के और विधायक भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में हैं। अविश्वास प्रस्ताव के पहले पालाबदली का खेल भाजपा ने पिछली विधानसभा के दौरान शुरू किया था|

वोटिंग के बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित कर दी गई। वैसे यह सत्र 26 जुलाई तक चलना था। मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह कहना कि “मुझे ये बात साबित करनी थी कि ये सरकार अल्पमत में नहीं थी और आज विधेयक के पक्ष में हुई वोटिंग से ये साफ हो गया है। इतना ही नहीं बसपा, सपा और निर्दलीय विधायक भी हमारे साथ हैं।“ कहीं से गलत नहीं है। इससे पहले उन्होंने कहा- राजनीतिक जीवन में मेरे ऊपर कोई दाग नहीं है। यहां बैठे हमारे विधायक बिकाऊ नहीं हैं। क्रॉस वोटिंग करने वाले शरद कोल और नारायण त्रिपाठी ने कहा कि, उनकी घर वापसी हुई है। सदन के भीतर के इस घटनाक्रम और सदन के बाहर पूर्व विधायक सुरेन्द्रनाथ सिंह के आन्दोलन में शिरकत और और कुछ व्यवहार भाजपा के नेतृत्व विभाजन के खुले संकेत हैं।

वैसे सदन में यह मतदान दलबदल का संकेत था अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि है कि विधायकों के दलबदल की जानकारी उनके पास नहीं आई है। जब आएगी तो कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी। तकनीकी रूप से सदन में जो कुछ हुआ उसके गुल तो खिलेंगे ही पर सरकार फ़िलहाल विभाजित भाजपा की कृपा से बच गई है। सौजन्य ऐसे ही चला तो सरकार टिकेगी, अगर गिरेगी तो अपने कर्मों से। भाजपा ने कभी गिराने का सोचा भी तो पहले यह सोचना होगा चलाएगा कौन ? सारे “गटनायक” की बजाय “गुटनायक” हो गये हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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