भोपाल। मध्यप्रदेश सहकारिता विभाग के अधीन सहकारी समितियों में सेल्समैन के 3625 रिक्त पदों के लिए 2018 में हुईं परीक्षाओं के रिजल्ट अब जारी होने वाले हैं। पता चला है कि भर्ती परीक्षा के रिजल्ट कमिश्नर एमके अग्रवाल ने बेवजह रोक रखे थे। सहकारिता विभाग के अधिकारी झूठ बोलते रहे कि प्रक्रिया पर हाईकोर्ट का स्टे लग गया है। मंत्री ने आदेश दिए परंतु कमिश्नर एमके अग्रवाल ने नहीं माना। जब विधानसभा में प्रश्न लगे और एमके अग्रवाल आईएएस की सीआर खराब होने की बारी आ गई तो आनन फानन उन्होंने रिजल्ट जारी करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए।
पत्रकार वैभव श्रीधर की एक रिपोर्ट के अनुसार सहकारी संस्थाओं में रिक्त पदों को भरने का फैसला शिवराज सरकार ने किया था। इसके लिए विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले भर्ती की तैयारी कर विज्ञापन निकाला गया था। ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 28 सितंबर 2018 रखी गई थी। 30 से 40 हजार युवाओं ने इसके लिए एमपी ऑनलाइन के माध्यम से फार्म भरे, लेकिन इसके नतीजे अभी तक घोषित नहीं हो पाए।
अफसर हाईकोर्ट के नाम पर रिजल्ट अटकाकर बैठ गए
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने की संभावना को देखते हुए अधिकारियों ने इसमें चयन प्रक्रिया को लेकर पेंच फंसा दिया। दो-तीन याचिका हाईकोर्ट में भी दाखिल हो गई। चूंकि, पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी, इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि नियुक्ति कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। इसे सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने स्टे माना और रिजल्ट घोषित करने की फाइल को दबाकर बैठ गए।
कमिश्नर ने अपने ही मंत्री की बात नहीं मानी
सहकारिता मंत्री डॉ. सिंह के सामने जब यह मामला आया तो उन्होंने फाइल बुलवाई और कोर्ट का आदेश देखा। इसमें चयन प्रक्रिया को रोककर रखने (स्टे) जैसी कहीं कोई बात नहीं थी। इस आधार पर उन्होंने 20 मई को नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति देते हुए रिजल्ट घोषित करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद सहकारिता आयुक्त कार्यालय में फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी रही। जब कुछ विधायकों ने विधानसभा के मानसून सत्र के लिए इस संबंध में सवाल लगाए तो एक बार फिर फाइल खुली और मंत्री की फटकार के बाद आनन-फानन में आयुक्त एमके अग्रवाल ने रिजल्ट घोषित करने का फरमान जारी कर दिया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अब महीनेभर के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।