भोपाल। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की सीधी भर्ती परीक्षाओं में शामिल होेने के लिए कमलनाथ सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में मध्य प्रदेश के मूल निवासी उम्मीदवारों की आयु सीमा 40 से घटाकर 35 वर्ष कर दी गई थी। अब उसे फिर से 40 वर्ष करना पड़ रहा है। बता दें कि सरकार के करीब 6 कैबिनेट मंत्रियों, 35 पार कर चुके उम्मीदवारों ने इसका विरोध किया था। भोपाल समाचार ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।
मप्र लोकसेवा आयोग (एमपीपीएससी) में सीधी भर्ती की आयु सीमा के निर्धारण के लिए बनाई गई कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें प्रदेश के युवाओं के लिए नौकरियों में भर्ती की आयु सीमा पूर्व की तरह ही 40 वर्ष करने की अनुशंसा की है। सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने बाहरी राज्यों के युवाओं को लेकर स्पष्ट कुछ नहीं कहा है। कमेटी की अनुशंसा पर अगली कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल ही में शासकीय सेवाओं में आयु सीमा नए सिरे से तय की थी। जिसमें दूसरे राज्यों के युवाओं के लिए एमपीपीएससी से सीधी भर्ती के पदों पर आयु सीमा 21 से बढ़ाकर 35 कर दी थी, जबकि मप्र के युवाओं के लिए पहले से तय आयु सीमा 40 को घटाकर 35 वर्ष कर दिया था।
हाईकोर्ट ने दिया था समानता का आदेश
हाईकोर्ट के 2018 के उच्च शिक्षा विभाग की भर्तियों से जुड़े उस आदेश को आधार बनाया गया था, जिसमें संविधान के अनुच्छेद-16 और 16 (2) के तहत अवसर की समानता का अधिकार देने और आयु, जाति व निवास स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने के निर्देश दिए गए थे। याचिका इसलिए लाई गई थी, क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में मप्र के उम्मीदवारों की आयु सीमा 28 से बढ़ाकर 40 कर दी थी, जबकि बाहरियों की उम्र 28 ही रखी थी, जिसे दूसरे प्रदेश के उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
2017 से पहले एक समान थी आयु सीमा
राज्य सरकार ने 12 मई 2017 को एक नोटिफिकेशन जारी कर एमपीपीएससी के सीधी भर्ती वाले पदों के लिए मध्यप्रदेश के मूल निवासियों के लिए आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 40 वर्ष तय की थी। वहीं बाहरियों के लिए यह आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 28 वर्ष तय की थी। वर्ष 2017 से पहले बाहरी और स्थानीय उम्मीदवारों के लिए प्रदेश में आयु सीमा की व्यवस्था एक समान ही थी।