ग्वालियर। आपके घर पहुंचने वाला दूध प्योर (शुद्ध) नहीं, यह सफेद पानी है। शहर में डेयरी से लेकर घर-घर तक दूधिया मिलावटी दूध बेच रहे हैं। दूध में पानी की मात्रा इतनी अधिक होती है कि सेहत बनाने वाले तत्व न के बराबर रह जाते हैं।
आप जिसे शुद्ध दूध मानकर अपने लड़लों को पिला रहे हैं, असल में वह मिलावटी है, जो सेहत भी खराब कर सकता है। शहर में बेचे जा रहे दूध की शुद्धता को परखने के लिए सोमवार को नईदुनिया टीम ने पड़ताल की तो सच्चाई उजागर हुई। अलग-अलग स्थानों पर स्थित डेयरी व घर-घर दूध पहुंचाने वाले दुधियों से सैंपल कलेक्ट किए। इसके बाद इन सैंपल को दुग्ध संघ की लैब पर टेस्ट करवाया गया। टैस्ट में 6 में से पांच सैंपल फेल हो गए।
फैट व सॉलिड नॉट फैट महज 20 प्रतिशत
जांच में सामने आया कि जो सैंपल फेल हुए उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं थी। फैट व सॉलिड नॉट फैट भी बहुत कम था। दूध में पाए जाने वाले मिनरल, प्रोटीन व विटामिन न के बराबर थे और वसा की मात्रा भी बहुत कम थी। एक किलो दूध में करीब 80 प्रतिशत तक पानी मिलाया जा रहा है। दूध की पौष्टिकता आपके पास महज 20 प्रतिशत ही पहुंची है।
मिलाया गया पानी बीमार न कर दे
दूध में मिलाया गया पानी दूषित होने पर यह आपको बीमार कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि दूधिया जब शुद्ध दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए पानी मिलाते हैं तो दूध पतला हो जाता है। इसे गाढ़ा करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। जैसे-
- शुद्ध पानी न मिलाते हुए मटमैला पानी मिलाने से दूध का रंग हल्का सफेद होता है और वह गाढ़ा दिखाई देता है।
- पानी मिले हुए दूध को ग़ाढा करने के लिए उसमें मठा का पाउडर अन्य कई तरह के पावडर भी मिलाए जाते हैं।
- दूध को गाढ़ा व फैट बढ़ाने के लिए उसमें वनस्पति मिलाते हैं।
- पानी मिले हुए दूध में मिठास व गाढ़ेपन के लिए शक्कर, ग्लूकोज, क्रॉक्टोज, नमक आदि मिलाया जाता है।
(नोटः दूध खराब न हो अधिक समय तक चले इसके लिए दूधिया दूध में निर्धारित मात्रा में साबुन व हाईड्रो परऑक्साइड मिलाते हैं। जिससे दूध अधिक समय तक सही बना रहता है।)
शुद्ध दूध का मानक
शुद्ध दूध में फैट की मात्रा-6.0 और सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) की मात्रा-9.06 होती है। एसएनएफ में मिनरल, विटामिन, प्रोटीन व सैच्युरेटिड फैट होता है। जो सैंपल फैल हुए उनमें फैट व सॉलिड नॉट फैट की मात्रा मानक से कम निकली।