दमोह। बीमा कंपनी IFFCO Tokio General Insurance Company in India को बीमा राशि का भुगतान न करना महंगा साबित हुआ। जिला उपभोक्ता फोरम (CONSUMER FORUM DAMOH) दमोह ने कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए एक लाख चलीस हजार रुपये की बीमा राशि देने का आदेश पारित किया है।
परिवादी माया कुसमया पति मूलचंद कुसमया निवासी श्रीवास्तव कालोनी दमोह के पुत्र संजू उर्फ गिरीश कुसमया ने दो पहिया वाहन एक्टीवा खरीदी थी। जिसका फर्स्ट पार्टी बीमा पालसी ईफको टोकियो से दिनांक 27 अप्रेल 2017 से 26 अप्रेल 2018 तक के लिए 1276 रुपये प्रीमियम भुगतान कर ली थी। बीमा पॉलसी में ईफको टोकियो ने वाहन स्वामी एवं चालक के व्यक्तिगत दुर्घटना के लिए एक लाख रुपये के बीमा के लिए 50 रुपये की प्रीमियम राशि ली भी थी। परिवादी का पुत्र संजू उर्फ गिरीश कुसमया की 02 नवंबर 2017 की रात को जीजी दीपक पांडे के साथ एक्टीवा से जाते समय करोदिया नाला के पास ट्रक की टक्कर मारने से मृत्यु हो गई।
झूठे आरोप लगाकर क्लेम खारिज कर दिया
परिवादी ने पुत्र की मृत्यु पर व्यक्तिगत दुर्घटना के लिए एक लाख रुपये एवं एक्टीवा की नुकसानी के लिए चालीस हजार रुपये का दावा बीमा कंपनी से किया, तो कंपनी ने यह कहते हुए दावा अस्वीकार कर दिया कि दुर्घटना के समय संजू उर्फ गिरीश कुसमया नशे की हालत में था एवं उसके पास वैध ड्राईविंग लायसेंस नहीं है। जिसके कारण परिवादी माया कुसमया ने अपने अधिवक्ता अजय दीप मिश्रा के माध्यम से फोरम में मामला प्रस्तुत कर दिया।
जिला उपभोक्ता फोरम दमोह के समक्ष परिवादी नें मृतक संजू उर्फ गिरीश कुसमया वैध ड्राईविंग लायसेंस एवं पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत की। मृतक संजू उर्फ गिरीश कुसमया की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में कहीं भी शराब के नशे होने वाली बात लेख नहीं थी एवं मृतक का ड्राईविंग लायसेंस भी 2007 से 2027 तक वैध था। उपभोक्ता फोरम की अध्यक्ष लक्ष्मी शर्मा ने बीमा कंपनी को बेबुनियाद आधार पर परिवादी का दावा निरस्त कर सेवा मे कमी का दोषी पाया।
फोरम अध्यक्ष ने व्यक्तिगत दुर्घटना के लिए एक लाख रुपये, एक्टीवा की नुकसानी के लिए चालीस हजार रुपये, सेवा मे कमी के लिए पांच हजार रुपये एवं वाद व्यय के लिए तीन हजार रुपये सात प्रतिशत ब्याज सहित दो माह के अंदर भुगतान करने का आदेश बीमा कंपनी ईफको टोकियो जनरल इश्योरेन्स लिमिटिड को दिया है। यह आदेश फोरम अध्यक्ष लक्ष्मी शर्मा, सदस्य डॉ. सपना जैन व राजेश ताम्रकार द्वारा पारित किया गया। परिवादीगण की ओर से पैरवी अधिवक्ता अजय दीप मिश्रा द्वारा की गई।