इंदौर। आदिम जाति कल्याण विभाग (Tribal Welfare Department) द्वारा इंदौर जिले में 70 प्रीमैट्रिक अजा-जजा छात्रावासों (SC - Jja hostels) का संचालन किया जा रहा है। 1 जुलाई से ये छात्रावास खुलेंगे। इन छात्रावासों की सामग्री का पिछले पांच साल से भौतिक सत्यापन ही नहीं हुआ है। जबकि राज्य शासन के निर्देशानुसार इनका भौतिक सत्यापन व अपलेखन आवश्यक रूप से प्रतिवर्ष किया जाना चाहिए, लेकिन विभाग के इंदौर में बैठे आला अफसर इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में छात्रावासों में किस वर्ष कितनी सामग्री की खरीदी और उसका उपयोग हुआ? उसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। प्रतिवर्ष इस कार्य के लिए एक कमेटी का गठन किया जाना भी अनिवार्य है, जिसमें छात्रावास संबंधित शाला का प्रमुख और विभाग का मंडल संयोजक भी शामिल रहता है। पिछले पांच वर्षों में सहायक आयुक्त द्वारा सत्यापन के लिए किसी कमेटी का गठन भी नहीं किया गया और न ही कोई निर्देश जारी किए गए। इस मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत व संभागीय उपायुक्त आदिवासी विकास को शिकायत भी की है।
छात्रावासों की सामग्री का प्रतिवर्ष सत्यापन करवाना अनिवार्य है। इसके आधार पर मौजूदा सामग्री को नष्ट कर नई सामग्री खरीदने की योजना बनाई जाती है। मैं पता करवाता हूं कि छात्रावासों में सत्यापन व अपलेखन की प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया।-गणेश भाबर, संभागीय उपायुक्त, अनु जनजाति विभाग