राहुल दुबे/इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ की डिविजन बेंच ने देपालपुर तहसील के ग्राम रंगवासा में 20 हेक्टेयर की खदान के संबंध में खनिज विभाग के संचालक द्वारा अलग-अलग तारीखों में तीन आदेश जारी किए जाने के खिलाफ मुख्य सचिव को जांच करने के आदेश दिए हैैं।
हाई कोर्ट ने खदान आबंटन और अपनाई गई प्रक्रिया की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा को सौंपने के भी आदेश जारी किए हैं। अपराध अन्वेषण शाखा (सीआईडी) से भी कहा है कि इस मामले की जो जांच पूर्व में की गई थी उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिविजन बेंच ने बुधवार को 16 पेज का आदेश जारी किया है।
अधिवक्ता विवेक दलाल, लोकेंद्र जोशी के मुताबिक मुख्य सचिव को तीन महीने में जांच कर रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करना है। मामला यूं है कि इंदौर-अहमदाबाद सिक्सलेन प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया। रोड बनाने वाली फर्म आईवीआरसीएल को प्रशासन की अनुमति से गिट्टी के लिए खदान आबंटित की गई थी, लेकिन ठेकेदार ने समय पर काम नहीं किया और खदान आबंटन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद खनिज विभाग ने खदान को नए सिरे से नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की।
लीज अधिकारों की नीलामी हुई तो पृथ्वी अर्थ मूवर्स को खदान का कांट्रेक्ट मिल गया। इस आबंटन को अन्य बोलीकर्ता और रोड बनाने वाली फर्म ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए कहा कि इस मामले की अपील खनिज विभाग के संचालक के समक्ष की जाए। खनिज विभाग के संचालक नीरज मंडलोई ने याचिकाकर्ताओं की अपील पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद उन्होंने पहला फैसला आठ मार्च 2019 को दिया। इसमें उन्होंने कहा खदान आबंटन के खिलाफ याचिकाकर्ता ने जो अपील दायर की थी वह निरस्त की जाती है। इसी दिन दूसरा आदेश पारित किया कि उक्त अपील स्वीकार की जाती है। इसके बाद तीसरा फैसला 11 मार्च 19 को दिया। इसमें भी लिखा कि विगत 8 मार्च के आदेश को निरस्त किया जाता है। दूसरे बोलीकर्ताओं ने जो अपील दायर की थी उसे स्वीकार किया जाता है।
इस फैसले से खदान आबंटन निरस्त हो गया था। इन तीनों फैसले के खिलाफ पृथ्वी अर्थ मूवर्स ने हाई कोर्ट में नई सिरे से याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इसे पूरे मामले पर विस्तृत फैसला दिया। हाई कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि 20 हेक्टेयर की खदान आबंटन प्रक्रिया नए सिरे से की जाए। पूर्व में खदान आबंटन की प्रक्रिया में जिन भी लोगों ने रिश्वत की पेशकश की और जिन्होंने गलत तरीके आबंटन किया उनकी जांच की जाए। कोर्ट के आदेश पर सीआईडी ने पूरे मामले की जांच की है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर खनिज विभाग के दोषियों के खिलाफ केस दर्ज हो। ईओडब्ल्यू के आईजी भी खदान आबंटन के आवेदन दाखिल होने से लेकर आवंटन तक की प्रक्रिया की जांच करें।
हाई कोर्ट ने खदान आबंटन और अपनाई गई प्रक्रिया की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा को सौंपने के भी आदेश जारी किए हैं। अपराध अन्वेषण शाखा (सीआईडी) से भी कहा है कि इस मामले की जो जांच पूर्व में की गई थी उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिविजन बेंच ने बुधवार को 16 पेज का आदेश जारी किया है।
अधिवक्ता विवेक दलाल, लोकेंद्र जोशी के मुताबिक मुख्य सचिव को तीन महीने में जांच कर रिपोर्ट हाई कोर्ट के समक्ष पेश करना है। मामला यूं है कि इंदौर-अहमदाबाद सिक्सलेन प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया। रोड बनाने वाली फर्म आईवीआरसीएल को प्रशासन की अनुमति से गिट्टी के लिए खदान आबंटित की गई थी, लेकिन ठेकेदार ने समय पर काम नहीं किया और खदान आबंटन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद खनिज विभाग ने खदान को नए सिरे से नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की।
लीज अधिकारों की नीलामी हुई तो पृथ्वी अर्थ मूवर्स को खदान का कांट्रेक्ट मिल गया। इस आबंटन को अन्य बोलीकर्ता और रोड बनाने वाली फर्म ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए कहा कि इस मामले की अपील खनिज विभाग के संचालक के समक्ष की जाए। खनिज विभाग के संचालक नीरज मंडलोई ने याचिकाकर्ताओं की अपील पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद उन्होंने पहला फैसला आठ मार्च 2019 को दिया। इसमें उन्होंने कहा खदान आबंटन के खिलाफ याचिकाकर्ता ने जो अपील दायर की थी वह निरस्त की जाती है। इसी दिन दूसरा आदेश पारित किया कि उक्त अपील स्वीकार की जाती है। इसके बाद तीसरा फैसला 11 मार्च 19 को दिया। इसमें भी लिखा कि विगत 8 मार्च के आदेश को निरस्त किया जाता है। दूसरे बोलीकर्ताओं ने जो अपील दायर की थी उसे स्वीकार किया जाता है।
इस फैसले से खदान आबंटन निरस्त हो गया था। इन तीनों फैसले के खिलाफ पृथ्वी अर्थ मूवर्स ने हाई कोर्ट में नई सिरे से याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इसे पूरे मामले पर विस्तृत फैसला दिया। हाई कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि 20 हेक्टेयर की खदान आबंटन प्रक्रिया नए सिरे से की जाए। पूर्व में खदान आबंटन की प्रक्रिया में जिन भी लोगों ने रिश्वत की पेशकश की और जिन्होंने गलत तरीके आबंटन किया उनकी जांच की जाए। कोर्ट के आदेश पर सीआईडी ने पूरे मामले की जांच की है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर खनिज विभाग के दोषियों के खिलाफ केस दर्ज हो। ईओडब्ल्यू के आईजी भी खदान आबंटन के आवेदन दाखिल होने से लेकर आवंटन तक की प्रक्रिया की जांच करें।