जबलपुर। यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि गुप्तेश्वर महादेव को भगवान रामेश्वरम् का उपलिंग माना जाता है। गुप्तेश्वर महादेव की स्थापना भगवान राम ने वनवास काल के दौरान की थी। गुप्तेश्वर महादेव सिद्धपीठ के डॉ. स्वामी मुकुंददास महाराज ने बताया कि भगवान राम जब एक साल तक रेवा तट के किनारे ऋषियों के आश्रम में रहे उस दौरान भगवान महादेव की स्थापना की थी। इसका उल्लेख मूल शिवपुराण के कोटि रुद्र संहिता में आता है। बाल्मीक रामायण और तुलसी रामायण में भी इसका उल्लेख है।
महाराज जी ने बताया कि एक वर्ष तक रेवा तट पर रहने के दौरान भगवान राम एक माह के गुप्त प्रवास पर थे। तभी उनकी नजर गुफा पर पड़ी। उस दौरान नर्मदा की धारा गुफा के पास से होते हुए निकलती थीं। रानी दुर्गावती भी इस गुफा में पूजन करने आतीं थी। उनके गुरु स्वामी नरहरिदास कहते थे कि जब कोई परेशानी हो तो यहां आकर बता देना।
इसके बाद वर्ष 1829 में यहां क्षेत्रीय बच्चे खेलते हुए पहुंचे और गुफा के सामने का पत्थर अलग कर दिया। तब से भगवान का पुन: प्राकट्य माना जाता है। तब से यहां अनवरत पूजन-अर्चन का दौर चल रहा है। सावन मास में यहां प्रतिदिन भगवान का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है। इस बार 29 जुलाई को शाही सवारी में भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने निकलेंगे।