भोपाल। नरेला विधायक विश्वास सारंग के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृहमंत्री श्री बाला बच्चन ने बताया कि प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के लिए दिया जाने वाला भोजन मध्यप्रदेश जेल नियमावली, 1986 के नियम-518 से 556 तक अनुसार दिया जाता है।
रोजा रखने वाले मुसलमान कैदियों को क्या मिलता है
उन्होंने बताया कि प्रदेश की जेलों में बंद मुस्लिम कैदियों को रमजान माह में सहरी और इफ्तारी की विशेष व्यवस्था की गयी थी। मध्यप्रदेश जेल नियमावली, 1968 के नियम-555 के प्रावधान अनुसार रमजान के महीने में रोजा रखने वाले प्रत्येक मुसलमान कैदी को, वह जिस वर्ग का कैदी हो, उस वर्ग के लिए स्वीकृत आहार के अतिरिक्त 60 ग्राम गुड़ या 35 ग्राम खजूर दिया गया। उसे पूरे दिन का अपना आहार एक ही समय अर्थात् सूर्यास्त के पूर्व प्राप्त करने और उसे पूरा का पूरा या उसका कोई भाग रात को या सुबह के पूर्व में खाने के लिए रात को ही अपने बैरक या कोठरी में रखने के लिए अनुज्ञात किया गया था। कैदियों को बाहर का भोजन नहीं दिया गया।
व्रत या उपवास रखने वाले हिंदू कैदियों को क्या मिलता है
विधायक विश्वास सारंग को गृहमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश जेल नियमावली, के नियम-554 के प्रावधान अनुसार ऐसा प्रत्येक हिन्दू कैदी, जो कि उपवास करना चाहे वह जिस वर्ग का कैदी हो, उस वर्ग के लिए स्वीकृत आहार के अतिरिक्त 60 ग्राम गुड़ पाने का पात्र होगा। यदि वह ऐसी वांछा करे, तो उसे पूरे दिन का अपना आहार एक ही बार के भोजन में दिया जा सकता है। उस कैदी को, जो कि धार्मिक कारणवश अपना सामान्य भोजन न करना चाहे उसके बदले फलाहार और शाकाहार दिये जा सकते हैं। इस प्रकार के शाकाहार जेल के बगीचे से दिये जा सकते हैं और यदि आवश्यक हो तो, पूरक रूप में बाजार से क्रय करके भी दिये जा सकते हैं, परन्तु यह कि इस प्रकार खरीदे गए फल और शाक की कीमत कैदी को लागू होने वाले आहार मापमान के एक दिन के राशन की कीमत से अधिक नहीं होगी।