झाबुआ। सरकार ने गरीबों के लिए दर्जनों योजनाएं चला रखीं हैं परंतु नेता सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं। घर बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान मिल सकता था लेकिन रतन भाबोर के पास स्मार्टफोन नहीं है इसलिए उसे योजना का पता ही नहीं चला। रतन को सरकार से पहले साहूकर मिल गया। उसने कर्ज तो फटाफट दे दिया लेकिन अब ब्याज चुकानें में पूरे परिवार का पसीना निकल रहा है।
साहूकार का ब्याज चुकाने पति गुजरात में मजदूरी करता है
यह कहानी क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर के गृह ग्राम उमरकोट के भाबोर-बीड फलिये में रहने वाली रामली और उसके पति रतन भाबोर की है। पत्रकार यशवंत सिंह पंवार की एक रिपोर्ट के अनुसार रामली को बैल बनकर अपना खेत जोतना पड रहा है। निर्धन नागरिकों को पक्का आवास के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान मिलता है परंतु रामली और उसके पति को किसी ने योजना के बारे में बताया ही नहीं। सांसद महोदय ट्वीटर पर हैशटेग अच्छे दिन चलाते रहते हैं परंतु अपने कार्यकर्ताओं को कभी गांव में नही भेजते। जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, वो अब जैसे देश के सिस्टम से ही बाहर हो गए हैं। कच्चा मकान बनाने के लिए रतन भाबोर को साहूकार से 1 लाख रुपए ब्याज पर लेने पड़े। अब ब्याज चुकान के लिए गुजरात में मजदूरी कर रहा है।
घर चलाने के लिए रामली बैल की जगह जुत रही है
घर के दैनिक खर्चों को चलाने की जिम्मेदारी रामली पर है। छोटे बच्चों की मदद से वह अपनी 2 बीघा जमीन में सीमित साधनों में मक्का, मुंगफली, गिल्की, मिर्च आदि की खेती कर रही है ताकि उसके परिवार का किसी तरह से पालन-पोषण हो जाए। विपरित परिस्थितियों के बावजूद सुखद पहलू यह है कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढने भेज रही है।
नहीं मिला लाभ
उमरकोट के सरपंच मोहन डामोर का कहना है कि रामली बाई को आज तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
एडीएम एसपीएस चौहान का कहना है कि सीईओ जनपद पेटलावद को इस मामले में तत्काल निर्देश दिए जाएंगें। महिला व उसके परिवार को हर संभव सरकारी मदद दी जाएगी।
सांसद गुमानसिंह डामोर का कहना है कि इस तरह का मामला उनकी जानकारी में नही है। अब संज्ञान में आया है तो दिखवा लेंगें। गरीब परिवार को हर तरह से मदद की जाएगी।