उज्जैन। उज्जैन-इंदौर रोड पर स्थित जेके नर्सिंग होम (JK Nursing Home) संचालक डॉ. कात्यायन मिश्र व डॉ. जया मिश्र (DR. Katyayana Mishra and Dr. Jaya Mishra) को यूडीए ने फिर नोटिस जारी कर उसे नर्सिंग होम में प्राधिकरण स्टाफ से ही चस्पा करा दिया है। नोटिस में कहा गया है कि प्राधिकरण द्वारा आवासीय उपयोग के लिए आवंटित प्लॉटों का व्यावसायिक उपयोग क्यों किया जा रहा है। प्राधिकरण प्रशासन ने एक माह में जवाब तलब किया है। साथ ही लीज निरस्त करने की चेतावनी भी दी है। दूसरी ओर नर्सिंग होम के संचालक डॉ. मिश्र ने कानून की शरण लेने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस बार प्राधिकरण प्रशासन ने अपने ही स्टाफ को भेजकर नोटिस नर्सिंग होम पर इसलिए चस्पा कराया ताकि यह बहाना न बनाया जा सके कि उन्हें नोटिस मिला ही नहीं। इस नोटिस के साथ ही प्राधिकरण की आवासीय संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग करने वालों में खलबली मच गई है। दरअसल, नर्सिंग होम जिन प्लॉटों पर बना है, वे आवासीय उपयोग के हैं, जबकि नर्सिंग होम व्यावसायिक दायरे में आता है। सीईओ सोजानसिंह रावत के आदेश पर संपदा अधिकारी जयदीप शर्मा ने यह नोटिस जारी किया है। इसमें पूछा गया है कि नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने पत्र द्वारा यह स्पष्ट किया है कि जिस जमीन के प्रयोजन अभिन्यास स्वीकृत किया गया है, उसका उपयोग वही रहेगा। चेतावनी दी गई है कि क्यों न आपके विरुद्घ मप्र विकास प्राधिकरण संपत्तियों का प्रबंधन एवं व्ययन नियम की धारा 22 व मप्र राजस्व संहिता की धारा 248 के अनुसार आपके पट्टे का निरस्तीकरण कर पुनः प्रवेश किया जाए।
यूडीए की संतनगर योजना में प्लॉट नं. 4 सबसे पहले केसी उपाध्याय को 3 मार्च 1979 में आवंटित किया गया था। 1983 में यह प्लॉट नीना दादवानी को बेचा गया था। 10 जनवरी 2006 को यह प्लॉट दादवानी ने जया मिश्र व कात्यायन मिश्र को बेचा था। उपरोक्त प्लॉट के पास ही प्लॉट नं. 5 सन् 1978 में शुभारानी जैन को आवंटित किया गया था।
शुभारानी जैन के इस प्लॉट को 2009 में मुख्त्यारआम के रूप में पवन कुमार पिता बसंतीलाल गोधा ने 2009 में जया मिश्र व कात्यायन मिश्र को अंतरित कर दिया था। इस तरह संतनगर योजना के प्लॉट 4 व 5 पर जेके नर्सिंग होम का निर्माण किया गया।
प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं में व्यावसायिक उपयोग का यह अकेला मामला नहीं, बल्कि कई लोग आवासीय प्लॉटों का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं। संत नगर के आगे ही विद्यानगर रोड पर टायर शो रूम के रूप में व्यावसायिक उपयोग हो रहा है। लेकिन प्राधिकरण को नर्सिंग होम को छोड़ अन्य व्यावसायिक उपयोग के प्लॉट क्यों नहीं दिखाई दे रहे। चौंकाने वाली बात यह भी है कि यूडीए के ही एक संपदा अधिकारी द्वारा खुद आवासीय उपयोग के प्लॉट का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। इसकी शिकायत भी प्राधिकरण प्रशासन के पास पहुंची है। ऐसे में प्राधिकरण द्वारा अकेले नर्सिंग होम पर कार्रवाई करना उचित नहीं माना जा रहा। व्यावसायिक उपयोग करने वाले सभी लोगों को एक साथ नोटिस जारी किए जाना चाहिए।