भोपाल। स्व. विजयाराजे सिंधिया जिन्हे भाजपा में राजमाता सिंधिया के नाम से पुकारा जाता है की गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से शर्मनाक पराजय के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब नई सीट की तलाश कर रहे हैं। इसी क्रम में वो ग्वालियर सीट पर भी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। बता दें कि ग्वालियर लोकसभा सीट उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया की सीट कही जाती है।
हार के कारण अब तक समझ नहीं आए
ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उन्हे इस बात का पता चल सके कि आखिर लोगों ने उन्हे वोट क्यों नहीं दिया जबकि विधानसभा चुनाव में उनकी अपील पर उनके समर्थक प्रत्याशियों को वोट दिया और विधायक बनाया। सिंधिया समर्थक नेताओं में सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का मूड देखकर उनकी तारीख में कसीदे पढ़ते हैं। जो सच ज्योतिरादित्य सिंधिया जानना चाहते हैं वो उनके आसपास खड़े नेता कभी बयां नहीं करेंगे और जिनके पास ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रश्न का उत्तर है वो ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास नहीं हैं।
ग्वालियर में सक्रियता बढ़ाई
पॉलिटिकल गॉसिप है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब नई सीट की तलाश कर रहे हैं। उनके पास उपलब्ध विकल्पों में ग्वालियर भी एक है। लोकसभा चुनाव से पहले भी उन्होंने ग्वालियर सीट पर अपनी संभावनाएं तलाश कीं थीं परंतु तब उन्हे जीत की गारंटी वाली बात नजर नहीं आई थी इसलिए उन्होंने गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और यहां भी पराजित हुए। अब उन्होंने ग्वालियर में सक्रियता बढ़ा दी है। 5 साल का समय है। यह काफी है अपनी जड़ें ग्वालियर की गलियों में मजबूत कर लेने के लिए।
दिग्विजय सिंह ने कांटों में खाद डालना शुरू कर दिया
राजनीति की पटियों पर आनंद लेते हुए अक्सर कहा जाता है कि दिग्विजय सिंह को अपनी हार का इतना दुख नहीं है जितनी खुशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली शिकस्त की है। बताने की जरूरत नहीं कि दिग्विजय सिंह के दिमाग का एक हिस्सा हमेशा ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए रिजर्व रहता है। वो ज्योतिरादित्य सिंधिया की पल पल की खबर रखते हैं और समय रहते सिंधिया की राह में कांटों का पर्याप्त प्रबंध कर देते हैं। ग्वालियर से चुनाव हारे अशोक सिंह यादव की अपेक्स बैंक चेयरमैन के पद पर नियुक्ति इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।