स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों और प्रदेश के युवा बेरोजगारों के साथ अच्छा मजाक कर रहा है, जिसे देखकर काफी दुख होता है। उसका कारण है स्कूल शिक्षा विभाग का आधा अधूरा डिजिटलइजेशन। एजुकेशन पोर्टल पर जानकारी भ्रमित करने वाली है, यही वजह है कि 8 जुलाई को अतिथि शिक्षक के आवेदन की अंतिम तिथि रखी जाने से प्रदेश के लाखों बेरोजगार अतिथि शिक्षक मजबूरी में बरसते पानी में अनेक स्कूलों के चक्कर काटते रहे लेकिन स्कूलों में रिक्त स्थान न होने के कारण संस्था प्रमुख़ ने उनके आवेदन नही लिए।
संस्था प्रधान अपनी जगह ठीक थे, लेकिन शिक्षा पोर्टल पर रिक्त पदों की जानकारी गलत होने में उन गरीब बेरोजगारों का क्या दोष? ये जवाब किसी अधिकारी के पास भी नहीं कि जब ट्रांसफर प्रक्रिया चल रही है, किसी स्थान के भरे और खाली होने की गारंटी नहीं, तो बेरोजगारों के साथ मजाक क्यों? अतिथि शिक्षकों के लिए भर्ती ट्रांसफर प्रक्रिया के बाद कर लेते? इसी मिथक जानकारी के कारण हजारों शिक्षक भी उन सस्थाओँ में अपना स्थानांतरण कराने के लिये आवेदन कर रहे है, जिनमें वास्तव में स्थान है ही नहीं, जो वास्तव में खाली है, वो पोर्टल के विकल्प में है ही नहीं है।
शिक्षक परेशान हैं कि अंतिम तिथि 12 जुलाई है। शासन अभी तक यह तय नही कर सका की रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षक पढ़ाएंगे या स्थानांतरण से आने वाले शिक्षक, ऐसे में यदि अतिथि शिक्षक रख भी लिया जाता है और उस सस्था में कोई शिक्षक आ जाता हे तो उस बेरोजगार के मन पर क्या बीतेगी। क्योकि स्थानांतरण के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शिक्षको को 29 जुलाई तक अपनी नवीन पदांकित संस्था में उपस्थिति दर्ज कराना है। विभाग को स्थानांतरण करने के उपरांत ही अतिथि शिक्षको की भर्ती करना चाहिए था।
कमोवेश युक्तियुक्तकरण नीति में भी निर्देश है की अतिशेष शिक्षको को स्वैक्षिक स्थानांतरण का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए किन्तु अभी तक वास्तविक अतिशेष शिक्षको की फायनल सूची ही जारी नही हो सकी, जो आपत्ति के बाद चिन्हित होंगे वो 12 जुलाई के बाद ट्रांसफर के लिए आवेदन कैसे कर सकेंगे। ऐसा लगता है सरकार विभाग की नीतियों को लेकर अनिर्णय का शिकार है या प्रदेश के अधिकारी शासन को सफल नही होने देना चाहते।