अतिथि शिक्षक मप्र में लावारिस फील कर रहे हैं, सरकार वचनभंग की अपराधी | KHULA KHAT

Bhopal Samachar
आदरणीय महोदय जी, कल भाजपा सरकार को जो कांग्रेस विपक्ष में रहकर अतिथि शिक्षक, संविदाकर्मियों व अन्या कर्मचारियों के मुद्दों पर आईना दिखाने का काम करती थी, लगता है सरकार बनते ही इनने आईना देखना बंद कर‍ दियां तब ही तो अपने सारे वचनों पर 6 माह से ज्यादा वक्त बीतने पर भी मौन हैं और ये कर्मचारी व इनके परिजन टकटकी लगाकर सरकार की ओर अपने सुरक्षित भविष्य की आश में देख रहें हैं। अभी वर्तमान में यह हाल हैं अतिथि शिक्षकों के म.प्र में –

(1) नवीन शिक्षण सत्र शुरू हो चुका हैं व कई जिले व संकुलों के अतिथि शिक्षक विगत जनवरी- अप्रैल माह के वेतन के लिए भटक रहें व उनको जबाब मिल रहा हैं कि बंटन नहीं हैं 5,7,9 हजार मानदेय पाने वाले अतिथिशिक्षक को 3-4 माह से पहले मानदेय नहीं मिलता है। जबकि 25-60 हजार पाने वाले शिक्षक के लिए शासन सुचारू रूप से वेतन व्यवस्था कर रहा है।

(2) माध्यमिक शालाओं में सामाजिक विज्ञान के पद पोर्टल पर नहीं दिखने से अतिथि शिक्षकों को मेरिट में आने के बाद भी नियुक्ति के लिए भटकना पड़ रहा है। अतिथि शिक्षकों को मेरिट में आने के बाद भी नियुक्ति के लिए भटकना पड़ रहा है।

(3) जहॉं अन्य राज्य  दिल्ली़, हरियाणा अतिथि शिक्षकों को अच्छा वेतन देते हैं म.प्र से लगभग तीन–चार गुना, वहीं उनके नियमितिकरण के लिए प्रयास कर रहें हैं पर मप्र में नियमितिकरण का वचन देकर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने अभी तक अतिथि शिक्षक नियमितिकरण के लिए कोई सफल प्रयास नहीं किया हैं न ही उनकी वेतन वृद्धी की हैं।

(4)  सत्र 2018-19 में सेवा देने वाले अतिथि शिक्षकों को 25 अंक बोनस दिया गया हैं जबकि आनलाइन चयन प्रक्रिया में अंको के आधार पर बाहर हो चुके अतिथि शिक्षकों को जिन्होनें वर्षों अल्प मानदेय पर सेवा दी हैं उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है व सत्र 2018-19 वालों को बोनस अंक दिए गए हैं जबकि शासन चाहता तो प्रतिकार्य वर्ष 2.5-5 अंक दे सकता था ताकि वर्षों सेवा देने वालों को भी न्याय मिल पाता और अगर विषय अनुसार वे चयन होने की क्षमता रखते तो बोनस अंक से चयनित हो पाते। सत्र 2018-19 में 90 दिन की सेवा वर्षों अल्प मानदेय पर पूर्व में कार्य कर चुके अतिथि शिक्षकों पर भारी पड़ रही है। जबकि प्रति वर्ष कार्य के अनुभव अंक निर्धारित करके शासन सभी के साथ न्याय कर सकता था जो कि नहीं किया गया। क्‍या शासन इसी तरह की नीतियां बनाने कमेटी गठित करता है।

सादर धन्‍यवाद
आपका शुभेच्‍छु
आशीष कुमार बिलथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन म.प्र

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