भोपाल। आनलाइन ट्रांसफर आवेदन प्रक्रिया में आ रही समस्याओं पर विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए समग्र शिक्षक संघ ने विभाग को पत्र लिखकर ऑनलाइन आवेदन करने की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की है। शिक्षा विभाग को भेजे गए पत्र में समग्र शिक्षक संघ ने तर्क दिया है पोर्टल पर रिक्त पदो की जानकारी अपडेट न होने से आवेदक विकल्प चयन नहीं कर पा रहे है, चूंकि पोर्टल पर शालाओं की जानकारी अपडेट नहीं है, जिससे रिक्त पद भरे और भरे हुए पद रिक्त दिखाई दे रहे है।
नए संवर्ग के पद सृजित नहीं, कैसे होंगे ऑनलाईन ट्रांसफर
समग्र शिक्षक संघ ने अपने पत्र में विभाग से पूछा है कि भर्ती पदोन्नति अधिनियम 2018 के तहत जिस नवीन संवर्ग को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक नाम देकर विभाग में शामिल किया है,उल्लेखित संवर्ग के नवीन पद का विभाग द्वारा स्वीकृत पद सरचना में उल्लेख क्यों नहीं है? विभाग बिना पद स्वीकृत किए कैसे संबंधित संवर्ग का ऑनलाईन ट्रासफर करेगा? और कैसे उन्हें विभाग के प्रसांगिक लाभ देगा।
सवाल युक्तियुक्तकरण के तरीके पर भी
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता संजय तिवारी ने स्कूल शिक्षा विभाग को भेजे गए पत्र में सवाल उठाया है कि जब विभाग ने एक शाला एक परिसर योजना में शामिल जब सभी मर्ज स्कूलों को एक इकाई माना गया है तो युक्तियुक्तकण नीति में मर्ज स्कूलों को अलग इकाई मानकर शिक्षकों को क्यों अतिशेष किया जा रहा है, उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि विभाग शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण में विभागीय पद संरचना के क्रम अनुसार अतिशेष करेगा तो उनका व्यवस्थापन कैसे करेगा? तब जबकि प्रदेश भर में न तो विषयमान से शिक्षक उपलब्ध है और न ही विषय क्रम के व्यवस्थापन के लिए स्कूलों में निर्धारित मान से दर्ज संख्या है! यही स्थिति प्राथमिक और माध्यमिक प्रधानपाठकों के मामले में भी निर्मित हो रही है, जब विभाग को जानकारी है कि प्रदेश भर के 95% स्कूलों में दर्ज संख्या निर्धारित मान से कम है तो प्रधान पाठको को अतिशेष के रूप में चिन्हित करने का औचित्य क्या है?यदि उन्हें अतिशेष के रूप में चिन्हित भी किया जाएगा तो उनका व्यवस्थापन कैसे होगा?
सरकारी स्कूलों की हालत पतली करने के लिए जवाबदार शिक्षक नहीं AC में बैठे प्रदेश के आला अधिकारी है?
समग्र शिक्षक संघ ने अपने पत्र में शासन पर आरोप लगाया है कि विगत वर्षो में प्रदेश भर में हजारों सरकारी स्कूल बन्द हो चुके है, जबकि आर टी ई के दायरे के बाहर होने के बाद भी नियमो के विपरीत मान्यता दिए जाने से प्रदेश भर में हजारों प्राइवेट स्कूल दिन दूनी रात तरक्की कर रहे है, जो निशुल्क शिक्षा के नाम पर न केवल सरकारी धन का अपव्यय कर रहे है,वल्कि छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रहे है,ऐसे प्राइवेट स्कूल ही सरकारी स्कूलों की दर्ज संख्या निरंतर कम करने के लिए उत्तरदाई है, ऐसे आंगनवाडी केंद्रों से सांठगांठ कर उनमें दर्ज 3 से साढ़े तीन वर्ष की उम्र के बच्चों को अपने स्कूलों में दर्ज कर लेते हैं यही वजह है कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों को नवीन छात्र नहीं मिल पाते? शिक्षक अतिशेष होते हैं, धीरे धीरे स्कूल बंद होनेे की कगार पर पहुंच जाते इसके लिए भी सिर्फ शिक्षकों को दोषी माना जाता है, जबकि इसके लिए शिक्षक नहीं प्रदेश के आला अधिकारी जिम्मेदार हैं समग्र शिक्षक संघ ने प्रदेश भर में नियम विरुद्ध चल रहे निजी स्कूलो को बन्द करने और नियमो के विपरीत मान्यता देने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है!