इंदौर। मध्यप्रदेश गृह निर्माण और अधोसंरचना मंडल (हाउसिंग बोर्ड) से भूखंड या आवास लेने वाले लोगों की संपत्ति अब फ्री होल्ड नहीं हो सकेगी। इससे पूरे प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड के आवासीय प्रोजेक्ट में फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया थम गई है। दिलचस्प पहलू यह है कि फ्री होल्ड पर रोक का फैसला तो राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने लिया और इसका सर्कुलर भी तभी जारी हो गया था, लेकिन निचले स्तर पर पहुंचते-पहुंचते इसे सात महीने से अधिक समय लग गया। इस खबर के सार्वजनिक होते ही हाउसिंग बोर्ड के संपत्ति मालिक नाराज हो गए हैं।
मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा
इस पुराने सर्कुलर को लेकर अधिकारी अब हाउसिंग बोर्ड के भोपाल मुख्यालय से मार्गदर्शन ले रहे हैं कि आखिर क्या करें? इंदौर की बात करें तो यहां हाउसिंग बोर्ड के विभिन्न प्रोजेक्ट में लगभग 10 हजार 500 लीजधारक हैं। इनमें से 80 फीसदी लीजधारकों की संपत्ति फ्री होल्ड होना बाकी है। हाउसिंग बोर्ड के विभिन्न दफ्तरों में अचानक आए इस सर्कुलर से अधिकारी असमंजस में हैं। बहरहाल, उन्होंने फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया तो रोक दी है, लेकिन यह पुराना सर्कुलर उनके गले नहीं उतर रहा है। वे इस सर्कुलर के मायने जानने के लिए हाउसिंग बोर्ड के मुख्यालय संपर्क कर रहे हैं। बोर्ड के उपायुक्त वायके दोहरे ने बताया कि स्थिति स्पष्ट करने और मार्गदर्शन के लिए हमने मुख्यालय पत्र लिखा है।
फ्री होल्ड होने से यह फायदा
हाउसिंग बोर्ड की संपत्ति फ्री होल्ड होने से प्लॉट या आवास धारकों को यह फायदा है कि उन्हें हर साल लीज रेंट नहीं भरना पड़ता है। उनकी संपत्ति हाउसिंग बोर्ड की लीज से मुक्त होकर वे इसके स्वामी हो जाते हैं। लीज शर्तों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। तय अवधि के बाद लीज का नवीनीकरण कराना पड़ता था, फ्री होल्ड पर इससे भी मुक्ति मिल जाती है। फ्री होल्ड करने से पहले आवासधारकों को 10 साल का लीज रेंट एकमुश्त जमा कराना होता है। साथ ही संपत्ति की कलेक्टर गाइडलाइन दर की एक प्रतिशत राशि शासकीय खजाने में जमा करानी होती है।