भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से मंत्री बने राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में आरटीओ शिवपुरी मधु सिंह को बचाने के लिए विधानसभा में गलत जवाब दे दिया। तमाम साक्ष्य उपस्थित होने के बावजूद मंत्री अपने लिखित जवाब में पूरी तरह से मुकर गए। मामला शिवराज सिंह की सभा में अधिग्रहित की गईं बसों के पेमेंट का है। दस्तावेज प्रमाणित कर रहे हैं कि फर्जी पेमेंट किया गया।
संक्षिप्त में समझें मामला क्या है
जुलाई 2018 को शिवपुरी जिले के पिछोर शहर में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में हितग्राहियों को ले जाने के लिए बसों का प्रबंधन किया गया। हमेशा की तरह बसों का प्रबंध करने की जिम्मेदारी आरटीओ मधु सिंह को सौंपी गई। इस आयोजन में कुल 300 बसों के लिए पेमेंट किया गया। आरटीओ मधु सिंह ने जिला पंचायत को लिखित में जो जानकारी दी उसके अनुसार जिला पंचायत ने पेमेंट किया। कुल करीब 41 लाख रुपए का भुगतान हुआ। इनमें से पुष्पेंद्र सिंह यादव व अशोक नागपाल के नाम 21 लाख रुपए का पेमेंट किया गया।
मामले का खुलासा तब हुआ जब यह पता चला कि पुष्पेंद्र सिंह यादव व अशोक नागपाल के नाम कोई भी बस रजिस्टर्ड ही नहीं है और ना ही ये किसी ट्रेवल ऐजेंसी के संचालक हैं। यानी ये किसी बस संचालन के लिए ऐजेंट भी नहीं हैं। इनका इस कारोबार से कोई रिश्ता ही नहीं है। पता यह भी चला है कि ये दोनों आरटीओ मधु सिंह के मुंहबोले भाई हैं। शिवपुरी की मीडिया इस घोटाले की सारी परतें खोल चुकी है परंतु आज तक इस मामले में कोई जांच शुरू नहीं हुई।
विधानसभा में मंत्री ने क्या जवाब दिया
कोलारस विधायक एवं भाजपा नेता वीरेन्द्र रघुवंशी ने विधान सभा में अपने प्रश्नक्रमांक 139 के माध्यम से घोटाले के बारे में जानकारी मांगी। सरकार की ओर से 10 जुलाई को जवाब दिया गया। राजस्व ओर परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जबाव में लिखा कि 'तात्कालिन सीएम शिवराज सिंह के कार्यक्रम के लिए परिवहन विभाग द्वारा कोई बसेें किराए से नही ली गईं। ना ही परिवहन विभाग ने कोई कार्यक्रम कराया। शासकीय आयोजनों में वाहनों को अधिग्रहण करने का संबंधी कार्य कलेक्टर का होता है। इस कार्यक्रम की बसों का भुगतान सीईओ, जिला पंचायत शिवपुरी द्वारा किया गया हैं इस कारण परिवहन विभाग के किसी भी कर्मचारी के विरूद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की स्थिति निर्मित नही होता है।
सुलगते सवाल
मंत्री ने भ्रष्टाचार के मामले को सिरे से ही खाजिर कर दिया है परंतु कई सवाल हैं जो अभी भी जिंदा हैं। सवाल यह है कि यदि आयोजन से परिवहन विभाग का कोई रिश्ता ही नहीं था तो आरटीओ शिवपुरी मधु सिंह ने जिला पंचायत के साथ पत्र व्यवहार क्यों किया।
आरटीओ ने आयोजन के लिए 300 बसों का प्रबंध क्यों किया और क्यों बस संचालकों को भुगतान की अनुशंसा की।
मंत्री के अनुसार अधिग्रहण का काम कलेक्टर का है तो क्या वो कलेक्टर के खिलाफ जांच शुरू कर रहे हैं जबकि गोविंद सिंह राजपूत परिवहन के साथ राजस्व मंत्री भी हैं और कलेक्टर उनके विभाग में आता है।
हमने तो परिवहन कार्यालय की अनुशंसा पर भुगतान किया है: जिला पंचायत
एचपी वर्मा जिला पंचायत सीईओ जिला शिवपुरी का कहना है कि हमने परिवहन कार्यालय के पत्रों के आधार पर भुगतान किया है। सभी पत्र रिकॉर्ड में उपलब्ध हैं। बसों को भेजने और भुगतान कराने की जबाबदारी परिवहन विभाग की होती हैं। हमारे विभाग के पास 2 पत्र शिवपुरी के परिवहन कार्यालय से और 1 पत्र परिवहन कार्यालय ग्वालियर से आया है। हमने इन्ही पत्रों के माध्यम से भुगतान जारी किया है और यही जबाव हमने भेजा है। विधान सभा में क्या जबाव दिया गया हैं इसकी हमे जानकारी नही हैं।