अंधविश्वास को प्रोत्साहन देने सांसद ने शाजापुर तक रेल चलवा दी | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। भारत के कानून में अंधविश्वास को अपराध माना गया है। जनप्रतिनिधि और अधिकारी 'अंधविश्वास' का समर्थन नहीं कर सकते। बावजूद इसके राजगढ़ के सांसद रोडमल नागर ने अंधविश्वास को प्रोत्साहित करने के लिए शाजापुर तक रेल चलवा दी। बता दें कि बीना नागदा पैसेंजर ट्रेन को 'चौहानी मेला' के लिए शाजापुर तक चलाया गया। यह मेला भूत प्रेत भगाने और बधाओं से पीड़ित लोगों को तांत्रिक क्रियाओं की मदद से राहत पहुंचाने के लिए लगाया जाता है। 

इन मेले के अवसर पर रेलों में भीड़ बढ़ जाती है। मध्य प्रदेश की लोकसभा सीट राजगढ़ के सांसद एवं भाजपा नेता राेडमल नागर ने रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय के अधिकारियों से बात की थी। उन्होंने यात्री सुविधा के लिए चौहानी मेले के लिए हर गुरुवार को बीना नागदा पैसेंजर और कोटा इंदौर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेनों में डिब्बे बढ़वाने की मांग भी की है। मजेदार बात यह है कि रेल विभाग ने इंदौर-मक्सी ट्रेन को शाजापुर तक बढ़ा दिया। रेलवे के अधिकारियों ने इस बात की तस्दीक तक नहीं की कि वाकई यहां कोई मेला लगता भी है या नहीं। 

गौरतलब है कि इंदौर-मक्सी के बीच पैसेंजर ट्रेन (59379) चलती है, जो इंदौर से आने के बाद तीन घंटे मक्सी स्टेशन पर खड़ी रहती है। इस ट्रेन को रेल मंडल रतलाम ने 19 व 20 जुलाई को शाजापुर तक बढ़ा दिया। पहले दिन शुक्रवार को ट्रेन जाने के बाद लोगों को इसकी जानकारी मिली और भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर रेल मंत्री द्वारा उक्त ट्रेन को शाजापुर तक चला देने की सूचना वायरल कर दी। मैसेज में शनिवार को ज्यादा से ज्यादा टिकट लेकर सफर करने की अपील की, ताकि ट्रायल में अच्छी टिकट बिक्री होने पर ट्रेन नियमित हो सके। इस बारे में भाेपाल रेल मंडल के पीआरओ इसरार एहमद सिद्दिकी का कहना था कि डिमांड किसने की थी, यह ताे साेमवार काे बताया जा सकता है। 

डीजल इंजन लगाकर ट्रेन को चलाया गया

क्या चाैहानी में मेला लगने और उसमें ज्यादा भीड़ रहने का हवाला देते हुए नागदा-बीना- नागदा ट्रेन में बाेगी बढ़ाने और इंदाैर-मक्सी ट्रेन काे 19 व 20 जुलाई को शाजापुर तक बढ़ाने काे कहा था। शाजापुर तक ट्रेन बढ़ाने के लिए रतलाम मंडल काे अतिरिक्त व्यवस्थााएं करना पड़ी। मक्सी से शाजापुर लाइन पर इलेक्ट्रिक इंजिन नहीं चल सकते इसलिए मक्सी से डीजल इंजन लगाकर शाजापुर तक ट्रेन भेजना पड़ी। 

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