भोपाल। मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा (2017) के बाद काउंसलिंग घोटाला शुरू हो गया है। काउंसलिंग का पहला चरण नियमानुसार हुआ लेकिन दूसरे चरण में घोटाला शुरू कर दिया गया है। काउंसलिंग की प्रक्रिया ही बदल दी गई है। हड़बड़ी में गड़बड़ी देखिए कि पहले से नियुक्त हो चुके पटवारियों को भी 29 जुलाई को आयोजित दूसरे चरण की काउंसलिंग में बुला लिया गया। क्यों ना यह संदेह किया जाए कि काउंसलिंग के दूसरे चरण में केवल उन्हे बुलाया जा रहा है जिनसे सबकुछ पहले ही फिक्स कर लिया गया था।
काउंसलिंग के दूसरे चरण में नियुक्त पटवारियों को फिर से बुलाने के मामले में दलील दी जा रही है कि विभाग इन पटवारियों को एक बार फिर जिला और कैटेगरी बदलने का अवसर दे रहा है। सवाल यह है कि प्रतीक्षा सूची शेष है, काउंसलिंग के तीनों चरण पूरे नहीं हुए हैं फिर बीच में यह सबकुछ करने की क्या जरूरत आन पड़ी थी।
पीईबी द्वारा पटवारी के लगभग 9,235 पदों के लिए दिसंबर 2017 में परीक्षा आयोजित की थी। मार्च 2018 में पीईबी ने चयनित 9,235 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी, जबकि करीब 1385 को प्रतीक्षा सूची में रख दिया। जून 2018 में चयनित उम्मीदवारों के लिए पहली काउंसलिंग हुई। नियमानुसार विभाग को परिणाम आने के 18 माह में तीनों काउंसलिंग करनी है। दूसरी और तीसरी काउंसलिंग में प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों को मौका दिया जाना है। दूसरी काउंसलिंग राज्य स्तर पर तो तीसरी जिला स्तर पर होनी है।
मंत्री के बंगले का घेराव
सोमवार को राजधानी आए करीब 250 उम्मीदवारों ने राजस्व मंत्री गाेविंद सिंह राजपूत के बंगले का घेराव किया। उम्मीदवारों के प्रतिनिधि अतुल पाठक ने बताया कि मंत्री-अफसर कह रहे हैं कि आप काउंसलिंग की प्रक्रिया को ही अपग्रेडेशन समझ लीजिए। अधिकारियों एवं मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने आश्वासन दिया है कि 18 माह बाद भी काउंसलिंग जारी रहेगी। सरकार इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाएगी। दूसरी तरफ उम्मीदवारों का कहना कि यदि सरकार ने जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कि तो हम कोर्ट से स्टे ले आएंगे।
मंत्री के कहने से क्या होता है, गजट नोटिफिकेशन हो चुका है
प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों का कहना है कि यदि सरकार ने 18 माह के अंदर बचे हुए उम्मीदवारों की काउंसलिंग नहीं की तो गजट के अनुसार हमारी नियुक्ति नहीं हो पाएगी और कोर्ट भी उसे मान्यता नहीं देगा। किसी मंत्री ने मीडिया में बयान देने से गजट में नोटिफिकेशन हो चुका मामला संशोधित नहीं होता।
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