भोपाल। मंत्री और विधायकों की अनुशंसा से आए आवेदनों को समायोजित (एडजस्ट) करने के लिए राज्य शासन ने शिक्षकों के तबादला आदेश जारी करने की प्रक्रिया ही बदल दी। अब शिक्षकों के तबादला आदेश एजुकेशन पोर्टल पर सार्वजनिक करने की बजाय शिक्षकों की यूनिक आईडी पर डाले जा रहे हैं। इससे यह आदेश सिर्फ वही शिक्षक देख सकेगा, जिसका तबादला हुआ है।
ऐसा कर सरकार उन 450 आवेदनों को एडजस्ट कर रही है, जिन्हें ऑफलाइन मंजूर करने के आदेश दिए गए थे। ये आवेदन सीएम मॉनिट और स्कूल शिक्षा मंत्री कार्यालय के माध्यम से विभाग तक पहुंचे हैं। शासन दो साल से शिक्षकों के तबादले ऑनलाइन कर रहा है। इस बार भी ऑनलाइन तबादला नीति जारी की गई थी, लेकिन 25 साल से तबादले की कोशिश में लगे अध्यापक से शिक्षक बने
कर्मचारियों ने मंत्रियों और विधायकों का दामन थाम लिया। सूत्र बताते हैं कि मंत्रियों और विधायकों ने अपनी अनुशंसा के साथ करीब पांच हजार आवेदन स्कूल शिक्षा विभाग को भेजे। इनमें से करीब 450 आवेदन सीएम मॉनिट और विभागीय मंत्री के कार्यालय से पहुंचे हैं, जिन्हें ऑफलाइन निपटाने का निर्णय भी हुआ, लेकिन शिक्षकों के विरोध से विभाग को निर्णय वापस लेना पड़ा। अब इन्हीं आवेदनों को निपटाने का रास्ता निकाला गया है।
यह तो ऑनलाइन आवेदकों के साथ अन्याय है
उपेंद्र कौशल, प्रदेश संयोजक, शासकीय अध्यापक संगठन का कहना है कि अध्यापक संवर्ग को बडे इंतजार के बाद तबादले का मौका मिल रहा है, लेकिन ऑफलाइन आवेदनों को ऑनलाइन प्रक्रिया में शामिल कर विभाग ने नई समस्या खड़ी कर दी है। अब जिसने ऑनलाइन आवेदन किया है, उसका तबादला अटक गया है और ऑफलाइन वाले का प्राथमिकता पर तबादला किया जा रहा है।
नियमविरुद्ध तबादलों को नियमबद्ध कर रहा है विभाग
शासन को हर हाल में 22 जुलाई को शिक्षकों की तबादला सूची जारी करना थी, लेकिन विभाग अभी तक इसी में उलझा है कि सीएम मॉनिट और विभागीय मंत्री के कार्यालय से आने वाले ऑफलाइन आवेदनों को ऑनलाइन प्रक्रिया में कैसे मर्ज किया जाए। यही कारण है कि 23 जुलाई तक सिर्फ 3082 शिक्षकों के तबादले हो सके। जबकि 75 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने तबादले के लिए आवेदन किए हैं। विभाग ने 24 जून से 12 जुलाई तक आवेदन लिए थे। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन थी, फिर भी विभाग तबादले नहीं कर पाया।