भोपाल। मध्य प्रदेश की विधानसभा में आज जो कुछ हुआ, वो फिक्स था। कर्नाटक से उठी आंधी से बचने के लिए सीएम कमलनाथ ने पहले ही इस घटनाक्रम की स्क्रिप्ट लिख दी थी। भाजपा की गलती केवल इतनी है कि उसे इस सबका अंदेशा तक नहीं था। वो तो निर्दोष नागरिक की तरह चुपचाप बैठी थी कि तभी अचानक सत्तापक्ष ने फायरिंग शुरू कर दी और बाहर निकलकर एनकाउंटर अनाउंस कर दिया।
भाजपा खुद विधेयक का समर्थन कर रही थी
रोज की तरह सुबह 11 बजे आज भी जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन आज बात कुछ और ही थी। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, सत्र 26 जुलाई को समाप्त होना था लेकिन उसे 2 दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया। दंड विधि संशोधन विधेयक में मत विभाजन की जरूरत ही नहीं थी। विधेयक पर वोटिंग कराने की तैयारी भी भाजपा ने नहीं की थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सीट पर बैठे नियम 139 के तहत किसानों की कर्ज मुक्ति पर चर्चा शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। दंड संहिता संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए भाजपा के केदार शुक्ला ने सदन में कहा भी कि पूरा सदन इस संशोधन के पक्ष में है, इसे बगैर चर्चा के पास करा लिया जाए और शिवराज सिंह चौहान के प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाए।
बसपा ने वोटिंग की मांग की और मंत्रियों ने समर्थन दिया
इस विधेयक पर बसपा के संजीव कुशवाह ने सदन में चर्चा मांग ली। मंत्रियों की बैंच से भी वोटिंग-वोटिंग की मांग की आवाज आने लगी। विपक्षी बैंच से आवाज आ रही थी कि जब हम विधेयक के पक्ष में हैं तो वोटिंग की जरूरत क्या है। इसके बाद भी अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने विधेयक पर वोटिंग कराने का आदेश दे दिया।
भाजपा ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया, फिर भी हारा हुआ घोषित कर दिया
विधेयक के पक्ष में 122 वोट बताए गए। विपक्ष ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इस वोटिंग के आधे घंटे पहले कांग्रेस की ओर से एक व्हीप जारी कर कहा गया कि सभी विधायक सदन में मौजूद रहे। भाजपा की ओर से कोई व्हीप जारी नहीं हुआ था। वोटिंग के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विधेयक के विरोध में जब हम थे ही नहीं तो वोटिंग कैसी? विधायकों के दलबदल के सवाल पर प्रतिपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है।
भाजपा ने अपने आंगन में बबूल बोए थे, आज उसी से पैर घायल हुआ
कमलनाथ ने भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल से फ्लोर क्रॉस कराया है। नारायण त्रिपाठी ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भी दलबदल किया था। वे मैहर से विधायक हैं। पिछली बार वे कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। शिवराज सिंह ने 2018 के चुनाव में त्रिपाठी को टिकट दिया और इस बार वो भाजपा से कांग्रेस में लौट गए। दूसरे शरद कौल ब्यौहारी से विधायक हैं। फ्लोर क्रॉस करने के बाद कौल ने कहा कि कमलनाथ उनके आईकॉन हैं। यदि भाजपा मैहर और ब्यौहारी में अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ताकतवर बनाती तो आज उसे यह दिन नहीं देखना पड़ता।