भोपाल। मध्य प्रदेश लोक आयोग की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों को और इंतजार करना होगा। इस साल फरवरी में होने वाली यह परीक्षा दिवाली के बाद ही होने के आसार हैं। प्रदेश सरकार ने अभ्यर्थियों के विरोध के बाद भले ही उम्र के बंधन को लेकर अपने ही निर्णय को पलट दिया, लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी विज्ञापन जारी होने की संभावना नहीं है, क्योंकि तीन बड़े कारणों के चलते तकनीकी बाधा आ गई है।
बताते हैं कि सबसे अहम बिंदु और पेंच आर्थिक आधार पर लागू होने वाले 10 फीसदी आरक्षण को लेकर है। प्रदेश सरकार पहले ही इसे मंजूरी दे चुका है। अब हर विभागों में खाली पदों के हिसाब से 26 फीसदी तक पदों की संख्या बढ़ाई जाएगी। तब आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण लागू हो सकेगा। एमपी पीएससी सचिव रेणु पंत का कहना है कि हमारी तैयारी चल रही है। कई तकनीकी बिंदु पर स्थिति स्पष्ट होना है। उसके बाद विज्ञापन जारी किया जाएगा।
ये बिंदु हैं जिनके कारण फिलहाल अटक गया विज्ञापन
दरअसल, राज्य सेवा परीक्षा का शेड्यूल तीन साल से पटरी पर है। उससे पहले 2012 की परीक्षा का परचा आउट होने के कारण जो बवाल मचा था, उसके चलते 2016 तक की परीक्षा का शेड्यूल दो साल देरी से चल रहा था, लेकिन तीन परीक्षाएं समय पर हुईं। इस बार भी परीक्षा फरवरी में होना थी, लेकिन पहले अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते तैयारी में देरी हुई।
फिर कुछ समय बाद मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। इसके बाद कहा गया था कि हर हाल में जून में विज्ञापन जारी हो जाएगा, लेकिन इस बीच सरकार ने विवादित निर्णय लेते हुए प्रदेश के अभ्यर्थियों की उम्र सीमा 40 से घटाकर 35 कर दी। इतना ही नहीं, बाहरी अभ्यर्थियों के लिए भी वही उम्र सीमा कर दी। इस पर खासा बवाल मचा।
सरकार ने दबाव में फैसला वापस ले लिया। प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होती, उससे पहले प्रदेश सरकार ने आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण के केंद्र के फैसले को प्रदेश में लागू कर दिया। उसी कारण अब पूरी प्रक्रिया में नए सिरे से कवायद शुरू हो गई है।