नई दिल्ली। ग्रिड से जुड़ी पवन ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश 8 दिसंबर, 2017 को अधिसूचित किए गए थे। निविदा के अनुभव के आधार पर और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए इन मानक निविदा-प्रक्रिया के दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित संशोधन किए गए:-
पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की समयसीमा सात महीने से बढ़ाकर निर्धारित कमीशनिंग तिथि, यानी 18 महीने तक कर दी गई है। यह उन राज्यों में पवन ऊर्जा परियोजना डेवलपर्स को मदद करेगा, जहां भूमि अधिग्रहण में अधिक समय लगता है।
पवन ऊर्जा परियोजना की घोषित क्षमता उपयोग घटक (सीयूएफ) के संशोधन की समीक्षा के लिए अवधि को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। घोषित सीयूएफ को अब वाणिज्यिक संचालन की तारीख के तीन साल के भीतर एक बार संशोधित करने की अनुमति है, जिसे पहले केवल एक वर्ष के भीतर अनुमति दी गई थी।
न्यूनतम सीयूएफ के अनुरूप ऊर्जा में कमी पर जुर्माना, अब पीपीए शुल्क का 50 प्रतिशत तय किया गया है, जो कि पावर जेनरेटर द्वारा खरीदकर्ता को भुगतान की जाने वाली ऊर्जा शर्तों में कमी के लिए पीपीए शुल्क है। इसके अलावा, मध्यस्थ खरीदकर्ता द्वारा मध्यस्थ के घाटे को घटाने के बाद अंतिम खरीदकर्ता के लिए जुर्माना निर्धारित किया जाएगा।
प्रारंभिक भाग के कमीशनिंग के मामलों में, खरीदकर्ता पूर्ण पीपीए शुल्क पर बिजली उत्पादन की खरीद कर सकता है।
पवन ऊर्जा परियोजना की कमीशनिंग कार्यक्रम को पीपीए या पीएसए के कार्यान्वयन की तारीख से 18 महीने की अवधि के रूप में परिभाषित किया गया है, जो भी बाद में है।
संशोधन का उद्देश्य न केवल भूमि अधिग्रहण और सीयूएफ से संबंधित निवेश जोखिमों को कम करना है, बल्कि परियोजना की जल्द शुरूआत के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना भी है। दंड प्रावधानों में शर्तों को हटा दिया गया है और दंड की दर तय कर दी गई है। पीएसए या पीएसए पर हस्ताक्षर करने की तारीख से, परियोजना के कार्यान्वयन की समय सीमा शुरू करने तक, जो भी बाद में हो, पवन ऊर्जा डेवलपर्स के जोखिम को कम कर दिया गया है।