भोपाल। Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 के तहत एक नया फैसला आया है। इसमें बिल्डर्स को थोड़ी राहत मिली है और ग्राहक की परेशानी बढ़ सकती है। फैसले में कहा गया है कि प्रोजेक्ट में विलंब होने की स्थिति में ग्राहक अनुबंध शर्तों के आधार पर हर्जाना पाने का हकदार है, लेकिन जब बिल्डर प्रोजेक्ट पर काम करने का इच्छुक हो तो ग्राहक को क्षतिपूर्ति पजेशन मिलने के बाद दी जाएगी।
राजधानी में आदिनाथ डेवलपर्स होशंगाबाद रोड में एक प्रोजेक्ट स्वास्तिक पारस एन्क्लेव में 12 लोगों नेे घर बुक किए थे। डेवलपर ने अनुबंध तारीख से 22 से 36 माह में पजेशन देने का वादा किया था। यानी इन्हें 27 मार्च 2015 तक पजेशन मिल जाना चाहिए था, लेकिन पजेशन का समय बीत जाने के तीन साल बाद भी इन 12 लोगों को पजेशन नहीं मिल पाया। नतीजतन इन सभी ने 2 जुलाई 2018 को रेरा में बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर मय ब्याज बुकिंग अमाउंट वापस मांगा।
रेरा ने अपने फैसले में कहा कि बिल्डर पूरी सुनवाई के दौरान खुद उपस्थित हुआ। उसने विलंब का कारण पैसों की कमी को बताया है। रेरा ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद पाया कि बिल्डर ने बुकिंग से मिली 100% राशि प्रोजेक्ट डेवलप करने में लगाई है, लेकिन कर्जदारों की ओर से किए गए वादे के मुताबिक राशि न मिलने के कारण प्रोजेक्ट लेट हुआ। इसमें डेवलपर की कोई गलती नहीं थी।
डेवलपर ने कहा कि वह प्रोजेक्ट पर काम करना चाहता है और रेरा द्वारा तय की गई हर्जाने की राशि का भी भुगतान करने को तैयार है, लेकिन अभी उसके पास इस क्षतिपूर्ति के लिए पैसा नहीं हैं। वह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही राशि दे सकेगा। रेरा ने दोनों पक्षों को 3 जुलाई को रेरा की एडजुकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष उपस्थित होने काे कहा है, जहां प्राेजेक्ट्म में हुए विलंब का हर्जाना तय किया जाएगा।
राजधानी में आदिनाथ डेवलपर्स होशंगाबाद रोड में एक प्रोजेक्ट स्वास्तिक पारस एन्क्लेव में 12 लोगों नेे घर बुक किए थे। डेवलपर ने अनुबंध तारीख से 22 से 36 माह में पजेशन देने का वादा किया था। यानी इन्हें 27 मार्च 2015 तक पजेशन मिल जाना चाहिए था, लेकिन पजेशन का समय बीत जाने के तीन साल बाद भी इन 12 लोगों को पजेशन नहीं मिल पाया। नतीजतन इन सभी ने 2 जुलाई 2018 को रेरा में बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर मय ब्याज बुकिंग अमाउंट वापस मांगा।
रेरा ने अपने फैसले में कहा कि बिल्डर पूरी सुनवाई के दौरान खुद उपस्थित हुआ। उसने विलंब का कारण पैसों की कमी को बताया है। रेरा ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद पाया कि बिल्डर ने बुकिंग से मिली 100% राशि प्रोजेक्ट डेवलप करने में लगाई है, लेकिन कर्जदारों की ओर से किए गए वादे के मुताबिक राशि न मिलने के कारण प्रोजेक्ट लेट हुआ। इसमें डेवलपर की कोई गलती नहीं थी।
डेवलपर ने कहा कि वह प्रोजेक्ट पर काम करना चाहता है और रेरा द्वारा तय की गई हर्जाने की राशि का भी भुगतान करने को तैयार है, लेकिन अभी उसके पास इस क्षतिपूर्ति के लिए पैसा नहीं हैं। वह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही राशि दे सकेगा। रेरा ने दोनों पक्षों को 3 जुलाई को रेरा की एडजुकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष उपस्थित होने काे कहा है, जहां प्राेजेक्ट्म में हुए विलंब का हर्जाना तय किया जाएगा।