गुना। चांचौड़ा का कुख्यात कालापीपल गांव जहां 2007 में भीलों के हमले में तत्कालीन थाना प्रभारी वीर सिंह सप्रे की मौत हो गई थी, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार पुलिस पूरी फौज बनाकर गांव में छिपे अपराधी को पकड़ने गई थी। पुलिस टीम मं 90 से ज्यादा हथियारबंद अधिकारी, कर्मचारी थे परंतु भीलों ने इस बार ना केवल तीन छोड़े, बल्कि फायरिंग भी की। मुठभेड़ में में एक सब इंस्पेक्टर सहित 9 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। भीलों ने करीब 25-30 राउंड फायर किए।
तंवर समुदाय की पंचायत में आ धमकी थी पुलिस
पुलिस इस बार पहले से तैयारी कर ही थी। 2007 में इसी इलाके में पुलिस पर हुए भीलों के हमले में तत्कालीन थाना प्रभारी वीर सिंह सप्रे की मौत हो गई थी। इसलिए कार्रवाई के लिए चांचौड़ा के अलावा कुंभराज और राघौगढ़ थानाें का बल भी बुला लिया गया था, लेकिन इस बार भीलों के बजाय तंवर समुदाय ने हमला किया, क्योंकि पुलिस उनके झगड़े को सुलझाने के लिए चल रही पंचायत में पहुंच गई थी। देर शाम तक चांचौड़ा थाने में 200 से ज्यादा लोगों पर प्रकरण दर्ज कर लिया गया।
पूरा घटनाक्रम चांचौड़ा थाना प्रभारी की जुबानी
हम सुबह 8.30 बजे गांव में दाखिल हुए थे। मेरे साथ कुंभराज थाना प्रभारी अनिल कदम और जंजाली चौकी प्रभारी अरुण बिहोरिया भी थे। गांव में पहुंचते ही हम अलग-अलग टुकड़ियोें में बंट गए थे। हमारा मकसद भील इलाके के वारंटियों को पकड़ना था। हमारे वहां पहुंचते ही भागदौड़ मच गई। भील भाग रहे थे, हम उनके पीछे लगे हुए थे। इसी दौरान 15-16 पुलिसकर्मियाें की एक टुकड़ी उस इलाके में चली गई, जहां तंवर समुदाय की पंचायत चल रही थी। पुलिस को देखते ही राजस्थान पक्ष के तंवरों को लगा कि कालापीपल वालों ने उनके साथ धोखा किया है। समझौता वार्ता के बहाने हमें बुलाकर अब पुलिस के हवाले करने की तैयारी है। बस उन्होंने हमला कर दिया। कम से कम 25 से 30 राउंड फायर हुए होंगे।’
रामसिंह, थाना प्रभारी, चांचौड़ा
दो पक्षों के बीच तनाव की जानकारी थी पर गंभीरता से नहीं लिया :
चांचौड़ा पुलिस को मालूम था कि राजस्थान व कालापीपल के तंवरों के बीच तनाव चल रहा है। पिछले दिनों राजस्थान के पक्ष की ओर से मारपीट, आगजनी व तोड़फोड़ की दो घटनाएं इस गांव में की जा चुकी थीं। दरअसल कालापीपल गांव के एक युवक ने 15 दिन पहले राजस्थान के खानपुरिया गांव की तंवर समाज की लड़की के साथ भागकर शादी कर ली थी। शुक्रवार को इसी मुद्दे को सुलझाने के लिए पंचायत बुलाई गई थी। पुलिस को यह भी नहीं पता था कि लोग हथियारों से लैस हैं। पंचायत वाले इलाके में चांचौड़ा की पुलिस नहीं गई। क्योंकि उसे पता था कि वहां माहौल गरम है। वहां कुंभराज का बल पहुंच गया था। यानि जानकारियों का आदान प्रदान ठीक से नहीं हुआ।